यादों की सुरमई घाटियों में दोस्ती के कई किस्से चमकते हैं । ऐसे ही एक अफ़साने की शुरुवात हुई थी जब छह साल की भोली उम्र में दूसरी कक्षा में मैंने तुम्हें देखा था । ऐसे तो तुम मेरे घर के पास ही रहती लेकिन जब एक साथ पढ़ने लगे तो एक दूसरे से हिलमिल कर अपनेपन के स्नेह बंधन में बंध गए । वंदना बचपन के वे दिन तुम्हारे साथ हँसना -हँसाना , लड़ना -झगड़ना ,रूठना -मनाना जब भी याद आते हैं तो अतीत का धुंधलापन उजियारा बन जाता है । तुम आज भी उतनी ही शालीन , मृदुल , सुन्दर हो या तुम्हारे पतिदेव के शब्दों में एक परफेक्ट eye -tonic हो : )
तुम्हारी वह कभी नहीं बदलने वाली निश्छल और भोली हंसी वह पवित्र निशानी है जो अब भी मेरे हृदय की तिजोरी में सुरक्षित है ।
तुम्हारी सोहबत में आकर मैंने भी कंचे , गुल्ली डंडा और बेट - बॉल की जगह लंगड़ी टांग, पिट्ठू ,पालम ,छुपम -छुपाई पोषम पा और रिंगा रिंगा रोजेज खेलना शुरू कर दिया था । तुम मेरे घर आती थी खेलने या मैं तुम्हारे घर जाती थी । हम दोनों बचपन में थीं शैतान की खालाएं । याद है हम दोनों अपने नन्हे नन्हे हाथों में हाथ डाल कर घर से कितनी दूर निकल जाया करते थे ,शायद उस जमाने में लड़कियों पर इतनी आफत नहीं आई हुई थी । बिना ट्रैफिक सिग्नल की समझ के घर वालों को बिना बताये रिंग रोड के भीषण ट्रैफिक को सरपट दौड़ कर पार करके कभी साउथ एक्स पार्ट वन जाना कभी साउथ एक्स पार्ट टू जाना ।
याद है स्कूल में गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस के निबंध का रट्टे मारना ,दीवार की तरफ मुंह करके खड़े होना , डेस्क पर कान पकड़ कर खड़े होना या क्लास रूम के चलते हुए पंखे से शहीद हुई गौरय्या की मिट्टी खोद कर समाधि बना उसके ऊपर फूलों से हे राम लिखना ।
पूरी क्लास में अँधेरा कर खिड़की के छेद से दीवार पर प्रोजेक्शन से बनने वाली सड़क के ट्रैफिक की फिल्म को देखना । लोटपोट, ननंद, चंपक ,मेंड्रेक , वेताल पढ़ने और एक्सचेंज करने से हमारा मन नही भरना और हर दूसरे तीसरे दिन गप्पें करते करते लोकल लाइब्ररी
पहुँच जाना | स्टार ट्रैक को देख कर हैरान होना और आई लव लूसी को देख कर लोट पोट होना । खेतों में चुकंदर की फसल बोने में क्या क्या सावधानी रखना चाहिए देख कर फिल्म शुरू होने का इंतज़ार करना | तुम्हारा मुझे पंप करना और जोश में मेरा किसी भी फल के पेड़ पर चढ़ जाना और पेड़ की ऊंचाई पर चढ़ कर जमीन देख कर स्टीरियोफोनिक आवाज़ में गला फाड़ कर रोना कि अब नीचे कैसे उतरेंगें ? तुम्हारा अपनी झोली में फल बीन कर मुझे रामभरोसे छोड़ कर वहां से नौ दो ग्यारह हो जाना । छोटी उम्र में दोनों को चाय की लत लगना और एक कप चाय की प्याली के लिए कभी ना ,ना कहना ।सोनू चौथी में पढता था हमसे दो साल सीनियर था मेरे ही फ्लैट के नीचे रहता था ।जब जब तुम मेरे घर आती थी तो उसका चेहरा गुलदाउदी के फूल की तरह खिल जाता था । याद है उसका अपनी निकर की ज़ेब में अपनी मम्मी की आँखें बचा कर हमदोनो के लिए कभी बिस्कुट कभी टॉफी कभी मिठाई लाना और फ़ोकट में उसका हमें टेबल याद करवाना : )
जब हमलोग पाँचवी क्लास में थे तब एक बार मेरे घर के सामने पड़ी पानी की सीमेंट पाइपों के ऊपर उछल कूद करते हुए दो पाइपों के बीच तुम्हारा पैर आ गया था और अगले दिन एक भारी भरकम प्लास्टर तुम्हारे पैर पर था । याद है तब तुम्हें कितना चिढ़ाया जाता था । तभी एक दिन मम्मी ने मुझे और रानी को पारले जी बिस्कुट का पैकेट दे कर तुम्हें देख आने को कहा | वही रानी चौपड़ा जिसकी बड़ी दीदी की शादी में शानदार खाना खा कर हम जब लौट रहे थे तो देखा था की शादी के पंडाल में बीचों बीच फलों का एक विशाल काय पहाड़ बना हुआ था | उस जमाने में भी सब मेहमान पेट भरा होने के बाबजूद भी उन फलों को जेबों, डोलची और पोलिथीन में भर भर कर ले जा रहे थे | तुमने अपने छोटे से रुमाल और मैंने अपनी फ्रॉक में जितने फल भर सकते थे भर लिए थे | उफ्फ घर पहुँच कर कितनी डाँट मिली थी दोनो को | हाँ तो जब मैं और रानी तुम्हारी
टूटी टाँग का जायज़ा लेने जा रहे थे तब मैंने और रानी ने रास्ते में वह बिस्कुट का पैकेट खोल कर आधा खाया और आधा ही खुला हुआ पैकेट तुम्हें सप्रेम भेंट कर दिया ,तुमने बिना सवाल जवाब के उसे स्वीकार किया यह तुम्हारा बड़प्पन ही था ।बिहार के गाँवों में गर्मियों की छुट्टियों में बिताये गए अपने अपने अनुभवों को बांटना ।
झूलों से फिसल कर अपने कपडे फाड़ देना ,बारिश में भींगना और कागज की किश्ती से रेस लगाना , कच्ची उम्र के बाजीरावों से एक साथ निबटना : ) और उनकी हज़ामत बनाना ।
याद है वह पहली हाई हील की सैंडिल मेरी लाल सफ़ेद तुम्हारी कोका कोला कलर की ,शायद तीसरी या चौथी क्लास में कितनी जिद्द करके ली थी , सबने बोला की पैर टूट जाएगा मोच आ जाएगी लेकिन हम कहाँ मानने वाले थे । वह डिस्को ड्रेस मेरी ब्राउन और तुम्हारी पिंक कलर की ।
मैथ्स और साइंस से तुम्हारा याराना नहीं था , वे तुम्हारे लिए एलियन सब्जेक्ट्स थे । लेकिन आर्ट्स के सब्जेक्ट्स में तुम बहुत अच्छी थी । और मुझे हैरानी होती थी की बिना किसी मेहनत के तुम्हें सोशियल साइन्स कैसे याद रह जाती थी |मेरा अपनी ही क्लास को ब्लैकबोर्ड पर मैथ्स पढ़ना और उषा भाटिया की दरिया दिली के चलते अपने हाथ आये मैथ्स के पेपर की टोटलिंग में चुपके से तुम्हारे नंबर बड़ा देना इसका इशारा था की दोस्ती में सब कुछ जायज़ होता है ।आठवीं क्लास में हमारा घुटनों से नीचे आने वाली स्कर्ट की तुरपाई करके उसे घुटने से दो इंच ऊपर करना ।
लहराते बलखाते बालों की चाहत में तुम्हारा महंगे इम्पोर्टेड शैम्पू इस्तमाल करना और मेरा गोरे होने के लिए फेयर एंड लवली इस्तमाल करना तुम्हारे बालों और मेरे गालों के लिए दुखदाई सिद्ध हुआ था । फिर
फिर हमारा मुल्तानी मिट्टी के फेस पैक और दही बेसन के नेचुरल शैम्पू पर लौट आना । और मालूम है इस फोटो में बाद में कितनी लड़ाई की थी हमदोनो ने किसके बाल लम्बे दिख रहे हैं , तुम्हारा यह बोल कर मेरी जबान बंद करना की तुम्हारे हाथ मेरे हाथों से ज्यादा फोटोजेनिक और सफोटिकटेड लग रहे हैं । साल भर में कितनी बार लड़ाई करना ,कट्टी करना , रूठ जाना फिर त्यौहारों में गले मिल कर अब्बा करना जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो ।
याद है परीक्षाओं से पहले हमेशा एक ही दुआ करते थे की या तो पाकिस्तान स्कूल के ऊपर बम गिरा दे या कोई ऊँची हस्ती टपक जाए
फिर चाहे इसके लिए हम 7 दिन दूरदर्शन पर निरंतर चलने वाले बिस्मिल्लाह ख़ान के शहनाई वादन को भी झेलने के लिए तैयार थे । एक बार हमारी फ़रियाद कबूल हो गई , स्कूल के गेट पर ही खबर मिली स्कूल बंद है हम दोनो उछलते कूदते सपना स्टूडियो गए और वहां फैंसी ड्रेस में यह वाली फोटो खिंचवाई थी ।
एक बार तुम मेरे घर आई थी पढ़ाई करने ,सुबह जब तुम उठी तो तुम्हारी आँखें चिपचिपी हो गई थी । तब तुम्हारे साथ मैं डिस्पेंसरी गई थी अपने कार्ड के नाम से तुम्हारे लिए दवाई लेने । तुम्हें बाहर बैठा कर मैं डॉक्टर के पास गई और कहा की मेरी आँखें खराब हो गई है दवाई चाहिए , अंदर ही अंदर अंदेशा था की कहीं डॉक्टर साहिब चोरी ना पकड़ ले कि अपनी आँखें दिखा कर अपनी सखी की दवाई ली जा रही है । डॉक्टर साहेब ने मेरी आँखों में टोर्च जला कर उन्हें भली प्रकार से चैक किया , मैं सांसें रोके बैठी थी अब पकडे गए तब पकडे गए , मालूम है तब डॉक्टर ने क्या कहा ....... आप बँगोली हैं । इस अप्रत्यशित सवाल से हैरान होकर मैंने इंकार में तेज़ी से सर हिलाया ना sss ,तब डॉक्टर साहेब ने मुस्कराते हुए कहा ...... लेकिन आपकी आँखों से लगता है की आप बँगोली हो और उसने प्रिस्किप्शन लिख दिया । हम दोनों दवाई ले कर वहां से हवा हवाई हो गए , और इस बात पर कई दिनों तक हँसते रहे थे ।
डियर अब ज़्यादा नही लिखेंगें | तुम्हारे पतिदेव इस अखिल सृष्टि में हमारे एकलौते फैन है और हम नही चाहते की हमारा एकलौता फैन भी ट्रैक छोड़ कर भाग खड़ा हो , बट यू आर स्टिल दी मस्तानी ऑफ सो मेनी हार्ट्स | अब देखो कट्टी मत करना तुमने भी तो पिछले साल प्रियंका चौपड़ा के धड़ पर हमारी मुंडी फिट की थी :) :)
जहाँ हर बात पर सफाई देनी पड़ जाए
वो रिश्ते कभी गहरे हो ही नही सकते....
Babes you're still the little naughty angel of my life!!!
तुम्हारी सोहबत में आकर मैंने भी कंचे , गुल्ली डंडा और बेट - बॉल की जगह लंगड़ी टांग, पिट्ठू ,पालम ,छुपम -छुपाई पोषम पा और रिंगा रिंगा रोजेज खेलना शुरू कर दिया था । तुम मेरे घर आती थी खेलने या मैं तुम्हारे घर जाती थी । हम दोनों बचपन में थीं शैतान की खालाएं । याद है हम दोनों अपने नन्हे नन्हे हाथों में हाथ डाल कर घर से कितनी दूर निकल जाया करते थे ,शायद उस जमाने में लड़कियों पर इतनी आफत नहीं आई हुई थी । बिना ट्रैफिक सिग्नल की समझ के घर वालों को बिना बताये रिंग रोड के भीषण ट्रैफिक को सरपट दौड़ कर पार करके कभी साउथ एक्स पार्ट वन जाना कभी साउथ एक्स पार्ट टू जाना ।
याद है स्कूल में गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस के निबंध का रट्टे मारना ,दीवार की तरफ मुंह करके खड़े होना , डेस्क पर कान पकड़ कर खड़े होना या क्लास रूम के चलते हुए पंखे से शहीद हुई गौरय्या की मिट्टी खोद कर समाधि बना उसके ऊपर फूलों से हे राम लिखना ।
पूरी क्लास में अँधेरा कर खिड़की के छेद से दीवार पर प्रोजेक्शन से बनने वाली सड़क के ट्रैफिक की फिल्म को देखना । लोटपोट, ननंद, चंपक ,मेंड्रेक , वेताल पढ़ने और एक्सचेंज करने से हमारा मन नही भरना और हर दूसरे तीसरे दिन गप्पें करते करते लोकल लाइब्ररी
पहुँच जाना | स्टार ट्रैक को देख कर हैरान होना और आई लव लूसी को देख कर लोट पोट होना । खेतों में चुकंदर की फसल बोने में क्या क्या सावधानी रखना चाहिए देख कर फिल्म शुरू होने का इंतज़ार करना | तुम्हारा मुझे पंप करना और जोश में मेरा किसी भी फल के पेड़ पर चढ़ जाना और पेड़ की ऊंचाई पर चढ़ कर जमीन देख कर स्टीरियोफोनिक आवाज़ में गला फाड़ कर रोना कि अब नीचे कैसे उतरेंगें ? तुम्हारा अपनी झोली में फल बीन कर मुझे रामभरोसे छोड़ कर वहां से नौ दो ग्यारह हो जाना । छोटी उम्र में दोनों को चाय की लत लगना और एक कप चाय की प्याली के लिए कभी ना ,ना कहना ।सोनू चौथी में पढता था हमसे दो साल सीनियर था मेरे ही फ्लैट के नीचे रहता था ।जब जब तुम मेरे घर आती थी तो उसका चेहरा गुलदाउदी के फूल की तरह खिल जाता था । याद है उसका अपनी निकर की ज़ेब में अपनी मम्मी की आँखें बचा कर हमदोनो के लिए कभी बिस्कुट कभी टॉफी कभी मिठाई लाना और फ़ोकट में उसका हमें टेबल याद करवाना : )
जब हमलोग पाँचवी क्लास में थे तब एक बार मेरे घर के सामने पड़ी पानी की सीमेंट पाइपों के ऊपर उछल कूद करते हुए दो पाइपों के बीच तुम्हारा पैर आ गया था और अगले दिन एक भारी भरकम प्लास्टर तुम्हारे पैर पर था । याद है तब तुम्हें कितना चिढ़ाया जाता था । तभी एक दिन मम्मी ने मुझे और रानी को पारले जी बिस्कुट का पैकेट दे कर तुम्हें देख आने को कहा | वही रानी चौपड़ा जिसकी बड़ी दीदी की शादी में शानदार खाना खा कर हम जब लौट रहे थे तो देखा था की शादी के पंडाल में बीचों बीच फलों का एक विशाल काय पहाड़ बना हुआ था | उस जमाने में भी सब मेहमान पेट भरा होने के बाबजूद भी उन फलों को जेबों, डोलची और पोलिथीन में भर भर कर ले जा रहे थे | तुमने अपने छोटे से रुमाल और मैंने अपनी फ्रॉक में जितने फल भर सकते थे भर लिए थे | उफ्फ घर पहुँच कर कितनी डाँट मिली थी दोनो को | हाँ तो जब मैं और रानी तुम्हारी
टूटी टाँग का जायज़ा लेने जा रहे थे तब मैंने और रानी ने रास्ते में वह बिस्कुट का पैकेट खोल कर आधा खाया और आधा ही खुला हुआ पैकेट तुम्हें सप्रेम भेंट कर दिया ,तुमने बिना सवाल जवाब के उसे स्वीकार किया यह तुम्हारा बड़प्पन ही था ।बिहार के गाँवों में गर्मियों की छुट्टियों में बिताये गए अपने अपने अनुभवों को बांटना ।
झूलों से फिसल कर अपने कपडे फाड़ देना ,बारिश में भींगना और कागज की किश्ती से रेस लगाना , कच्ची उम्र के बाजीरावों से एक साथ निबटना : ) और उनकी हज़ामत बनाना ।
याद है वह पहली हाई हील की सैंडिल मेरी लाल सफ़ेद तुम्हारी कोका कोला कलर की ,शायद तीसरी या चौथी क्लास में कितनी जिद्द करके ली थी , सबने बोला की पैर टूट जाएगा मोच आ जाएगी लेकिन हम कहाँ मानने वाले थे । वह डिस्को ड्रेस मेरी ब्राउन और तुम्हारी पिंक कलर की ।
मैथ्स और साइंस से तुम्हारा याराना नहीं था , वे तुम्हारे लिए एलियन सब्जेक्ट्स थे । लेकिन आर्ट्स के सब्जेक्ट्स में तुम बहुत अच्छी थी । और मुझे हैरानी होती थी की बिना किसी मेहनत के तुम्हें सोशियल साइन्स कैसे याद रह जाती थी |मेरा अपनी ही क्लास को ब्लैकबोर्ड पर मैथ्स पढ़ना और उषा भाटिया की दरिया दिली के चलते अपने हाथ आये मैथ्स के पेपर की टोटलिंग में चुपके से तुम्हारे नंबर बड़ा देना इसका इशारा था की दोस्ती में सब कुछ जायज़ होता है ।आठवीं क्लास में हमारा घुटनों से नीचे आने वाली स्कर्ट की तुरपाई करके उसे घुटने से दो इंच ऊपर करना ।
लहराते बलखाते बालों की चाहत में तुम्हारा महंगे इम्पोर्टेड शैम्पू इस्तमाल करना और मेरा गोरे होने के लिए फेयर एंड लवली इस्तमाल करना तुम्हारे बालों और मेरे गालों के लिए दुखदाई सिद्ध हुआ था । फिर
फिर हमारा मुल्तानी मिट्टी के फेस पैक और दही बेसन के नेचुरल शैम्पू पर लौट आना । और मालूम है इस फोटो में बाद में कितनी लड़ाई की थी हमदोनो ने किसके बाल लम्बे दिख रहे हैं , तुम्हारा यह बोल कर मेरी जबान बंद करना की तुम्हारे हाथ मेरे हाथों से ज्यादा फोटोजेनिक और सफोटिकटेड लग रहे हैं । साल भर में कितनी बार लड़ाई करना ,कट्टी करना , रूठ जाना फिर त्यौहारों में गले मिल कर अब्बा करना जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो ।
याद है परीक्षाओं से पहले हमेशा एक ही दुआ करते थे की या तो पाकिस्तान स्कूल के ऊपर बम गिरा दे या कोई ऊँची हस्ती टपक जाए
फिर चाहे इसके लिए हम 7 दिन दूरदर्शन पर निरंतर चलने वाले बिस्मिल्लाह ख़ान के शहनाई वादन को भी झेलने के लिए तैयार थे । एक बार हमारी फ़रियाद कबूल हो गई , स्कूल के गेट पर ही खबर मिली स्कूल बंद है हम दोनो उछलते कूदते सपना स्टूडियो गए और वहां फैंसी ड्रेस में यह वाली फोटो खिंचवाई थी ।
एक बार तुम मेरे घर आई थी पढ़ाई करने ,सुबह जब तुम उठी तो तुम्हारी आँखें चिपचिपी हो गई थी । तब तुम्हारे साथ मैं डिस्पेंसरी गई थी अपने कार्ड के नाम से तुम्हारे लिए दवाई लेने । तुम्हें बाहर बैठा कर मैं डॉक्टर के पास गई और कहा की मेरी आँखें खराब हो गई है दवाई चाहिए , अंदर ही अंदर अंदेशा था की कहीं डॉक्टर साहिब चोरी ना पकड़ ले कि अपनी आँखें दिखा कर अपनी सखी की दवाई ली जा रही है । डॉक्टर साहेब ने मेरी आँखों में टोर्च जला कर उन्हें भली प्रकार से चैक किया , मैं सांसें रोके बैठी थी अब पकडे गए तब पकडे गए , मालूम है तब डॉक्टर ने क्या कहा ....... आप बँगोली हैं । इस अप्रत्यशित सवाल से हैरान होकर मैंने इंकार में तेज़ी से सर हिलाया ना sss ,तब डॉक्टर साहेब ने मुस्कराते हुए कहा ...... लेकिन आपकी आँखों से लगता है की आप बँगोली हो और उसने प्रिस्किप्शन लिख दिया । हम दोनों दवाई ले कर वहां से हवा हवाई हो गए , और इस बात पर कई दिनों तक हँसते रहे थे ।
डियर अब ज़्यादा नही लिखेंगें | तुम्हारे पतिदेव इस अखिल सृष्टि में हमारे एकलौते फैन है और हम नही चाहते की हमारा एकलौता फैन भी ट्रैक छोड़ कर भाग खड़ा हो , बट यू आर स्टिल दी मस्तानी ऑफ सो मेनी हार्ट्स | अब देखो कट्टी मत करना तुमने भी तो पिछले साल प्रियंका चौपड़ा के धड़ पर हमारी मुंडी फिट की थी :) :)
जहाँ हर बात पर सफाई देनी पड़ जाए
वो रिश्ते कभी गहरे हो ही नही सकते....
Babes you're still the little naughty angel of my life!!!