Friday, February 16, 2018

Reflection


Do you Remember
 how you used to keep your fist tight
were the queen in every sight
It did not matter whether it was day or night
you never cared someone was king or knight 

Now look in the mirror, what do you see 
You are the same one or just a faded glimpse

It’s  the time to show the world
you are a mortal sword 
which can't get the rust
still, you can fight
do not  go away from the light
Bell is ringing to make you awake
Get up and jump in the hope lake
There is no time to become fake
It is already too late to make it straight

Keep the trust  come to me first
it's not the matter of the lust
my desire is about to burst 
I need a love of your thrust 
Look at sun it's  time to fire the gun
 no time is left to take a U-turn
Take a moment to keep trust in me
I will give you something to believe in

Tuesday, February 13, 2018

Shiv : The Ultimate Healer


A sacred space for Shiva worship is a natural healing place for mind, body, and soul.Shiva is the source of immortality, the ultimate force of healing and nourishment.The light of Shiva outshines millions of suns. It is with his fire of radiant divine energy that he destroy the world in a flash and breathe life into it in no time. There is nothing beyond his power........

For Video Click Here Shiv: The Ultimate Healer

Friday, February 2, 2018

यात्रा !!!!


कृष्ण !!!! तेरी याद सदाबहार फूल के जैसे मेरे दिल में हर समय महकती रहती है मुद्धते बीत गई मालूम नहीं मैं कबसे तुमसे बिछुड़ी हुई हूँ   युग पर युग , जन्म  पर जन्म बीत गए , मैं एक आवारा सितारा, एक अणु , एक शरीर, एक आत्मा अपनी एक छोटी सी पहचान लिए चलते चलते, घूमते घूमते, चक्कर काटते काटते कितनी योनियों में पैदा हुई फिर  भी मैंने  तेरी पवित्र विरहाग्नि की लौ को कभी बुझने  नहीं दिया |  

तेरे सांवले चहरे के आकर्षण और मोहिनी से मैं आज तक मुक्त नहीं हो पाई हूँ | मेरी घनी , घुमावदार , निराश और उदास पलकों  में तेरा अक्स हमेशा के लिए कैद है । गहरी  उदासी के नीले समुन्द्र की लहरों में थपेड़े खाते हुए  , मैं अपने ह्रदय में व्याकुलता लिए हुए  हर पल किनारे लगने के लिए  बेकरार  हूँ ।


कभी कभी तेरी बंसी कि तान मेरे भावनाओं की  सिमटी हुई दुनिया  में हलचल मचा देते  हैं   मेरा दिल मीठे दर्द में  सराबोर हो जाता  है और  मेरे होंठों पर एक अजीब निराशापूर्ण मुस्कराहट फ़ैल जाती है। तेरी बंसी की  उस  नाजुक  लय पर मेरी बेसब्र विरहणी रूह खिंची चली जाती है  

 नदी की खामोश   सतह पर फैली  हुई जादू भरी  रोशनी ,  मेरे अंदर जन्मों जन्मों से प्रेम कि दबी हुई आग को भड़का देती है , और एक बिछुड़े हुए प्रेमी कि याद में गुलाब की  कोमल पंखुण्डियों से नाजुक मेरे गालों  पर आंसू  कि पंक्तियाँ उकर  जाती हैं मैं उन आंसुओं को नही पौंछती क्योंकि मेरा पाकीजा दिल  इनके भेद को जानने  के लिए बेताब है। 

शायद कभी तुम प्रकाश के महास्रोत बन कर एक कभी नहीं डूबने वाली कश्ती में  सवार होकर  आओ और मेरे  चहरे पर आसुंओं के जमी हुई काजल के स्याह परतों को पोंछ  कर हँसते हुए अपनी निराली यात्रा में  मुझे भी शामिल कर लो  

उस सपनीले मिलन बेला में  चमचमते हुए असंख्य सितारों की  कंप कंपाती रौशनी मेंमैं चोर निगाहों से तुम्हारी  सफ़ेद दूध जैसी  बेदाग चांदनी वाली मुस्कान देखूंगी  और  मैं पहली बार असीम  सब्र की  एक सांस लूंगी   शायद फिर भी मैं तुमसे यह कह सकूं कि उस समय भी  मेरा दिल यह सोच कर धड़क रहा होगा कि  कहीं  यह अजर और अमर क्षण समाप्त हो जाए और तुम फिर से अपरिचित बन मुझे अनंत इंतज़ार के पलों में धकेल दो। 

आग बरसाती हुई तपती हुई दोपहरी में ,  एक ढेढ़ी मेढ़ी  संकरी पगडण्डी बन कर एक  विराट आसमान के सीने को छूने की  मेरी यह कोशिश शायद  तुमें बचकाना लगे , और तुम मेरी इस  अशिष्ट  सोच पर हंसो भी |


तुम्हारे लिए मेरी यह बेपर्दा महोब्बत शायद  तुम कभी समझ सको   और मेरा तन्हा दिल सकून  पा सके ! मैं अपनी नज़रें नीची किये हुए लड़खड़ाते  क़दमों से  अपने तलवों की थकान कि  परवाह किये बिना , भूखी प्यासी   उस असीम , अज्ञात  कठिन यात्रा में तुम्हारी  सहयात्री बनूँगी क्योंकि इस बार मैंने नहीं तुमने  मेरा हाथ थामा   है


 द्वारा 
गीता झा 

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एक अनदेखा, अनजाना, अपरिचित ........ मुसाफ़िर