Thursday, May 4, 2017

ब्लेंक कॉल्स ( Blank Calls )




फ़ोन की घंटी बजी थी हेलो !!!! ” हमने  जिज्ञासा से कहा  था ! तब आपने कहा की "आपके पापा घर पर हैं  ! मुझे  उनसे बात करनी है " हमने   कहा " पापा तो ऑफिस में हैं ! आप कौन बोल रहे हैं ? " तब आपने शायद झेंपते  हुए कहा था की " मैं RKK बोल रहा हूँ , आपके पापा मुझे जानते हैं | आप गीता बोल रहीं है ? '' आपके पक्के बिहारी टोन की थाह लेते हुए मन ही मन RKK का फुल फॉर्म  समझे हुए अनजाने में हमने  भी चुटकी  ली और बनावटी हैरानी से पूछा " आप मेरा नाम कैसे जानते हैं ? "

तब आपने भी बिंदास हँसते हुए कहा था की " जब आप हमसे मिलेंगी तो समझ जायेंगीं "


हाँ तो मिस्टर RKK इस वार्तालाप से दो दिन पहले ही हमारे पापा आपके पास JNU में आपसे हमारे रिश्ते की बात करने गए थे और आपके पूर्ण समर्पित बिहारी टोन और अंदाज़ से हम पहले ही समझ गए  थे की फ़ोन की घंटी आपने ही खड्काई है


मालूम आप हमसे कितने साल सीनियर थे ..............इसका उस समय हमारे लिए कोई अर्थ नहीं था क्योकि अधिकतर अरेंज्ड शादियों में उम्र का फासला अधिक ही  हो जाता है | जब हमारे पापा आपके पास गए थे तो आप लाइफ साइंस में 5- 6 वर्षों से लगातार मैराथन Phd कर रखे थे

लेकिन उसी साल आपका सिविल सर्विस में इंडियन रेवेनु सर्विसेज [ IRS ] कस्टम में सिलेक्शन  होना काफी था की संपूर्ण  मैथिल बिहारी समाज के कुंवारी लड़कियों के पिता अपनी बेटियों के उद्धार के लिए आपके दरवाजे पर अपनी-अपनी  दरखास्त लेकर आये शायद उस समय आपके दरवाजे पर लगी लाइन में आपका रेट 2 0 लाख चल रहा था , और ताजुब्ब है उस समय उसे  देने वालों की भी कोई कमी नहीं थी


हाँ तो हमने कहा की आपकी यश कीर्ति सुन कर हमारे ईमानदार पिता भी उसी लाइन में अपनी बेटी की किस्मत अजमाने  के लिए लग गये थे

ईमानदार पिता की लाडली बेटी और वह भी सांवले रंग की .........यह दो बातें ही काफी थी की हमारी प्रस्थिति ब्राह्मण समाज में काफी सोचनीय करने के लिए |  फिर भी हमारे  पापा की दाद देनी होगी जो आप जैसे मॉडल सरीखे और हाई प्रोफाइल लड़के को अपना भावी दामाद बनाने का सपना भी देख सके शायद हर लड़की के पिता की दिली ख्वाईश होती है की उनकी लड़की हमेशा उससे बेहतर लड़के से विवाही जाए

पहली नज़र में ही पापा आपसे इम्प्रेस हो गए थे , उन्होंने हमारी ब्लैक एंड वाइट फोटो आपको दिखाई थी , ब्लैक एंड वाइट फोटो  देख  कर ही आप समझ गए थे की हमारा  रंग खांटी सांवला है  ....लेकिन आपने भी शालीनता से कहा था ....... अंकल जी !!  आज कल तो कलर फोटो दिखाई जाती है और आप ब्लैक एंड वाइट फोटो लेकर आये हैं ? ”

पापा हमारे गहरे रंग के चलते पहली बार में ही रिजेक्ट नहीं होना चाहते थे आपने हमारी वह वाली फोटो और बायोडाटा रख लिया था और हमारे पापा को को कह दिया की आप इस रिश्ते पर विचार कर अपने परिवार वालों से बात करेंगें यह टरकाने का एक सभ्य  तरीका था फिर आपने हमारे  लिए भी सिविल सर्विस की तैयारी का एक नुक्सा भी बता दिया की .............हमें तोते की तरह रटने और मुह जबानी याद करने की जगह तीन चार लोगों के साथ बैठ कर उनसे सहयोग लेते हुए लिख लिख कर सभी विषयों का अभ्यास करना चाहिए और न्यूज़ पेपर तो बिना नागा किये रोज़ पढना चाहिए |


घर पर कर पापा ने कहा की आप दूरदर्शन के किसी सीरियल में आते थे  और एक आध टेलीफिल्म भी कर चुके थे |  आपकी ओमनी डायरेक्शनल क्षमताओं के हम कायल हो चुके थे फिर दो दिनों के बाद आपका फ़ोन आया हम तो पहली बार में ही आपकी आवाज़ से आपको पहचान गए थे , लेकिन अनजान बनाने की एक्टिंग करनी जरुरी हो गई थी आखिर एक सुसंस्कृत घर की बेटी जो  थे |  एक बार जो ब्लेंक कॉल्स  आने का सिलसिला चला  तो जाने कब तक चलता रहा ...और हम भी कसम खा कर बैठे थे ही हम आपको पहचानेगें  नहीं .


इन ब्लेंक कॉल्स के के चक्कर में कितना समय और कितनी घटनाएं बीत गई सब कुछ बदलता चला  जा रहा था | नहीं बदला तो आपका रोज़ 4-5  बार ब्लेंक कॉल करना  और  हमारा सभ्यता और शालीनता से पुनः पुनः धीरे से  हेलो  बोलना ” ........फिर दोनों और सन्नटा  | कभी आप फ़ोन डिसकनेक्ट करते थे और  कभी हम  |


जब दूसरी बार पापा आपके होस्टल गए थे थो आप शायद कहीं बाहर गए हुए थे | आपके रूम मेट ने कहा की आप दो बार हमें  कहीं देख चुके हैं ! शायद कॉलेज में ? लेकिन आपके दोस्त ने वही  महान काम किया जो अमिताभ बच्चन ने शोले फिल्म में अपने  दोस्त वीरू के लिए किया था उसकी शादी की बात करते समय  , आपके दोस्त ने कहा की यकीनन आप एक अच्छे इंसान हैं लेकिन आपका अफेयर आपके साथ पढ़ने वाली एक लड़की के साथ चल रहा है जो एक सिन्धी है और  शायद दीपा नाम बताया था उसका  |


जो उस समय Phd करने जर्मनी गई हुई थी | फिर क्या था हम माज़रा समझ गए की आपने कुछ टाइम के लिए उसकी अनुपस्थि में हमें अपना टाइमपास बनाया हुआ था  | और फिर हमारी उन  पंजाबी सहेलियों ने हमारी अच्छी खबर ली जिनके दिल बेदर्द   बिहारी लड़कों ने तोड़े हुए थे …….....सबने एक सुर में कहा .....खबरदार गीता  !!! जो कभी इस लड़के से शादी के बारे में सोचा भी तो | जो तेरे लिए अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़ सकता है वह कल किसी तीसरी के लिए तुझे भी छोड़ देगा  | हम उन सबके जले भुने फूंके दिलों के   प्रैक्टिकल तर्कों के आगे नतमस्तक थे |


लेकिन आपका भी जबाब नही था जो एक बिहारन और एक सिंधन के बीच पिसने को को पूरी तरह से तैयार थे आपके ब्लेंक कॉल्स की आदत पड़ चुकी थी  | धीरे धीरे आपका स्वाभाव पता चलता गया | जब कभी आप बूथ से कॉल  करते थे तो हमेशा चुप्पी रहती थी क्योकि आप एक रूपए का सिक्का डाले बिना ..... हेलो...... तो सुन ही सकते थे और कभी आप अपने परिचित या और जगह से फ़ोन करते थे तो हमेशा एक ही सवाल पूछते थे ......ईस्ट वेस्ट एयरलाइन ? ? ? और हमारा हमेशा एक ही एकनिष्ट और समर्पित जवाब होता था ......सॉरी रॉंग नंबर !!!


मज़े की बात तो यह है की हजारों बार हमने आपके ईस्ट -वेस्ट एयरलाइन पर ..........सॉरी रॉंग नंबर बोला होगा  | लेकिन कसम खाई थी की आपको कभी पहचानेगें नही .......चाहे एक युग ही क्यों बीत जाये !!

JNU के आपके दोस्तों से बाद में पता चला की आपने IRS की जॉब ज्वाइन ही नही की | एक बार आपका एडिटोरियल कॉलम में  nuclear  रिएक्टर के ऊपर लिखा एक आर्टिकल पढ़ा था  | शायद  आपने TOI में एडिटर की नौकरी कर ली थी |


लेकिन आपने कभी भी किसी अभद्र या असभ्य लहजे  या भाषा का प्रयोग नही किया था | कालर ID लगवाना  बेकार था क्योकि केवल हम ही जानते थे की सारे ब्लेंक काल्स आप ही खड्काते थे |


हाँ घर के दुसरे लोग कभी कभी इरिटेट  जरुर हो जाते थे | लेकिन हमने भी एक सुसंस्कृत टाइमपास का किरदार बखूबी निभाया था | आप हमसे बहुत सीनियर थे , टैलेंटेड थे , आपके सभी खूबियों की हम कद्र करते थे ...हमने कभी भी आपको कडवे और झल्लाने वाले लहजे में जबाब नहीं दिया था  | एक अनदेखा अनजान इंसान को समझना शुरू कर दिया था | हमें पता था की आपका टैलेंट आपको कभी भी एक दायरे  में बंधने नहीं देगा |

हमने हमेशा आपकी इज्जत ही की थी .....लेकिन एक दिली ख्वाइश रह गई की ....यदि आपको पहचान कर बात करते तो शरारत में आपको ...देवघर का पंडा जरुर कहते ......


हमारी  नजर में आप दीपा की अमानत थे ,  और हम अपने संस्कारों से बंधे हुए थे |


शायद हमारी शादी की खबर आपको लग गई थी |  शादी के पांच दिन पहले आपका फोन आया हमेशा हज़ारों बार की तरह हमने फिर ...... हेलो !! " कहा  ...इस आखिरी ब्लेंक कॉल में यह जानने की जिज्ञासा हुई की आपका यह अंतिम फ़ोन किसी बूथ से खड़क रहा है की किसी और जगह से , इसकी थाह लेने के लिए हमने .....फिर पहली बार कहा ......... "आपको किससे बात करनी है ? ” तब आपने धीरे से कहा था की ..... “बात तो हमें आपसे ही करनी है ” .....फिर वही चिरपरिचित  ख़ामोशी ......और हमने फ़ोन डिसकनेक्ट कर दिया था ...यही हमारी आखिरी बातचीत थी |और आखिरी ब्लेंक  कॉल भी |


अभी दो साल पहले हमारी एक सहेली ने आपका जिक्र किया |  मोबाइल के इस जमाने  में लैंडलाइन फ़ोन की  ब्लेंक कॉल्स की यादों से एक मुस्कान हमारे चहरे पर खिल गई ........ एक अनदेखे ......अनजाने  को देखने की बालसुलभ लालसा हुई , जिसे  हम हज़ार बार एक ही आवाज़ पर हेलो   ”और  रॉंग नंबर ” बोल चुके थे ........ 


और हमने गूगल सर्च पर आपका नाम टाइप किया .......


फिर पहली बार आपकी फोटो देखी  ....आपके गोगल्स वाली हीरो टाइप टिपिकल बिहारी स्टाइल की सभी फोटो  देख कर बहुत हंसी आई ....और करियर तो आपका जलेबी की तरह होगा ही तरह यह तो हम शुरू से जानते थे ....TOI  के बाद आपने USA जाकर अपनी एक सॉफ्ट वेयर कंपनी खोली थी जिसकी दूसरी कंट्री में भी ब्रांचे थी , और साथ ही साथ आपने एक फिल्म प्रोडक्शन हाउस भी खोला हुआ है  जिसमें आप इंडिया कर फिल्में बनाते हैं ....... यानी आपने अपने एकेडेमिक क्वालिफिकेशन और हॉबी का पूरा बैंड बजाया हुआ है  


दीपा तो पता नही आपके जीवन में है या नही है लेकिन आपके व्यक्तित्व का यूनिक पना जरुर अभी तक कायम है


चलो हम दोनों ने पढ़ा कुछ और , किया कुछ और अंत में बने कुछ और ....लेकिन एक चीज़ याददास्त में दोनों की  कॉमन  है ..........वे हज़ार ब्लेंक कॉल्स !!!


द्वारा

गीता झा 

No comments:

Post a Comment