ज्योतिष- शास्त्र एक प्राचीन और वैज्ञानिक शास्त्र हैं. आरंभ से ही मनुष्य इसके प्रति आकर्षित रहा हैं. कुछ लोगों की धारणा हैं की ग्रह नक्षत्र आदि पृथ्वी से इतने दूर हैं तो पृथ्वीवासियों पर कैसे प्रभाव डाल सकतें हैं ? इसी कारणवश वे ज्योतिषशास्त्र की सत्यता पर प्रश्नचिन्ह लगा देते हैं.
ज्योतिष शास्त्र क्या हैं ?
ज्योतिष शास्त्र का लक्ष्य अंतरग्रही संबंधों की वैज्ञानिक विवेचना कर एक दूसरे पर इसके पड़ने वाले सूक्ष्म और स्थूल प्रभावों और परिणामों से अवगत कराना हैं.
ज्योतिष शस्त्र के अनुसार पूर्ण ब्रह्माण्ड एक चैतन्य शरीर हैं , जिसका प्रत्येक स्पंदन उसके हर घटक को प्रभावित करता हैं.
कॉस्मिक कनेक्शन
वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है की, ब्रह्माण्ड के समस्त ग्रह घटक परस्पर चुम्बकीय शक्ति के आधार पर एक दूसरे से जकड़े हुए अपनी नियत कक्षा में परिभ्रमण करतें हैं. पृथ्वी भी एक प्रकार का चुम्बक हैं जिसके दो सिरे उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव हैं.
पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र कहीं कम ओर कहीं अधिक हैं. भू-चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव आकाश में कई किलोमीटर तक फैला हुआ हैं.
यह चुम्बकीय क्षेत्र सूर्य तथा अन्य ग्रहों से आने वाली आकाशीय -विकरणों को अपनी ओर खींचता हैं. इस चुम्बकीय क्षेत्र का परिवर्तन पृथ्वी पर प्रत्येक स्थान पर होता हैं कहीं कहीं प्रतिदिन कहीं कहीं लम्बे अंतराल पर. वैज्ञानिकों ने विभिन्न परीक्षण द्वारा यह सिद्ध किया हैं की पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन हृदय और मस्तिष्क के क्रियाकलापों पर काफी प्रभाव डालतें हैं.
बॉडी इलेक्ट्रिसिटी
मानव खुद एक जीवित-चुम्बक हैं. विज्ञान के अनुसार आयनों के सतत प्रवाह से विद्युत बनती हैं. मानव शरीर के करोड़ों कोशिकाओं में व्याप्त कैल्सियम, पोटेशियम, सोडियम के आयन भी सतत प्रवाहित होकर निरंतर जीव-विद्युत का उत्पादन करते रहते हैं.
मानव शरीर के कुछ अवयव जैसे मस्तिष्क , हृदय और आखें प्रमुख जीव- विद्युत उत्पादन केंद्र हैं जिनका मापन electroencephalogram, echocardiogram और electroretinogram द्वारा संभव हैं. इन केन्द्रों में उत्पादित होने वाली विद्युत अनेक नाड़ियों द्वारा शरीर के प्रत्येक हिस्से तक पहुंचाई जाती हैं.
मानवीय रक्त में होने वाले परिवर्तन हमें रोगी या निरोगी बनातें हैं. रक्त में hemoglobin नामक लौह - तत्व सतत गतिशील होकर शरीर को एक चुम्बक बना देता हैं.अतः आकाशीय विद्युत चुम्बक का प्रभाव हमारे रक्त पर भी पड़ता हैं.
इस प्रकार ब्रह्मांडीय-विद्युत- चुम्बकीय तरंगों का असर जगह, समय और व्यक्ति विशेष के उपर अलग- अलग पड़ता हैं. एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से इन्हीं तरंगों की असमानता के कारन भिन्न-भिन्न होतें हैं.
ज्योतिष शास्त्र - रिफाइन या ब्लफ़
ज्योतिष शास्त्र एक विस्तृत और गूढ़ विज्ञान हैं. जो लोग इसके विपक्ष में दलीलें देतें हैं उनका निशाना अक्सर गलत भविष्यवानियाँ होती हैं जिसके आधार पर वे इसकी वैज्ञानिकता पर सवाल उठातें हैं.
आधुनिक चिकित्सा पद्धति इतनी विकसित और तर्क संगत हैं फिर भी चिकित्सकों का 50- 80 प्रतिशत निदान गलत साबित होतें हैं.
प्रसिद्ध हृदय-रोग विशेषज्ञ Sir James Mackenzie ने कहा की ----जीवन पर्यंत अनुसन्धान और शव -परिक्षण [autopsy ]के बाद यह निष्कर्ष निकला हैं की चिकित्सक ,साधारण रोग में 70 % गलत निदान करतें हैं.
आधुनिक चिकित्सा पद्धिति में मौलिक सिद्धांतों की कमी हैं. ह्रदय रोग, कैंसर, एड्स, दमा, मधुमय का पूर्ण निदान तो दूर साधारण जुकाम का भी कोई सटीक इलाज़ नहीं हैं.
पेट से सम्बंधित अधिकतर रोगों का उपचार permutation and combination पर आधारित होता हैं. लगभग 200 से अधिक व्याधियां हैं जो समझ में नहीं आने पर एलर्जी के रूप में परिभाषित कर दी जाती हैं.
जब उन्नति के कगार पर पहुंची चिकित्सा- विद्या का यह हाल हैं तो ज्योतिष शास्त्र को बदनाम करना बचपना मात्र हैं.
इसके अलवा भौतिक -विज्ञान में thought experiment , hypothesis , corollaries , assumption और infinity इत्यादि का बहुलता से प्रयोग , इस विज्ञान को subjective भी बनातें हैं .
अधिकत्तर लोगों में इस ज्ञान को ब्लफ़ कहने का रिवाज़ चल निकला हैं. परन्तु शायद ही कोई हो जो मन से इस पर विश्वास नहीं करता हैं .इसे झूठी -विद्या कहने वाले भी भी लुके-छिपे विशेषकर अपने ऊपर कोई विपत्ति पड़ने पर ज्योतिषियों के पास जाते और सलाह लेते हैं.
जिस प्रकार बीज़ के अन्दर एक पूर्ण वृक्ष का स्वरुप, प्रकृति, फलों का प्रकार आदि गुण छिपे रहतें हैं उसी प्रकार व्यक्ति की कुंडली में उसका समस्त व्यक्तितित्व एवं संभावनाएं छिपी रहती हैं.
अतः ज्योतिष शास्त्र एक महासागर के समान विशाल, गूढ़, देविक और विज्ञान सम्मत शास्त्र हैं.
ज्योतिष शास्त्र क्या हैं ?
ज्योतिष शास्त्र का लक्ष्य अंतरग्रही संबंधों की वैज्ञानिक विवेचना कर एक दूसरे पर इसके पड़ने वाले सूक्ष्म और स्थूल प्रभावों और परिणामों से अवगत कराना हैं.
ज्योतिष शस्त्र के अनुसार पूर्ण ब्रह्माण्ड एक चैतन्य शरीर हैं , जिसका प्रत्येक स्पंदन उसके हर घटक को प्रभावित करता हैं.
कॉस्मिक कनेक्शन
वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है की, ब्रह्माण्ड के समस्त ग्रह घटक परस्पर चुम्बकीय शक्ति के आधार पर एक दूसरे से जकड़े हुए अपनी नियत कक्षा में परिभ्रमण करतें हैं. पृथ्वी भी एक प्रकार का चुम्बक हैं जिसके दो सिरे उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव हैं.
पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र कहीं कम ओर कहीं अधिक हैं. भू-चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव आकाश में कई किलोमीटर तक फैला हुआ हैं.
यह चुम्बकीय क्षेत्र सूर्य तथा अन्य ग्रहों से आने वाली आकाशीय -विकरणों को अपनी ओर खींचता हैं. इस चुम्बकीय क्षेत्र का परिवर्तन पृथ्वी पर प्रत्येक स्थान पर होता हैं कहीं कहीं प्रतिदिन कहीं कहीं लम्बे अंतराल पर. वैज्ञानिकों ने विभिन्न परीक्षण द्वारा यह सिद्ध किया हैं की पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन हृदय और मस्तिष्क के क्रियाकलापों पर काफी प्रभाव डालतें हैं.
बॉडी इलेक्ट्रिसिटी
मानव खुद एक जीवित-चुम्बक हैं. विज्ञान के अनुसार आयनों के सतत प्रवाह से विद्युत बनती हैं. मानव शरीर के करोड़ों कोशिकाओं में व्याप्त कैल्सियम, पोटेशियम, सोडियम के आयन भी सतत प्रवाहित होकर निरंतर जीव-विद्युत का उत्पादन करते रहते हैं.
मानव शरीर के कुछ अवयव जैसे मस्तिष्क , हृदय और आखें प्रमुख जीव- विद्युत उत्पादन केंद्र हैं जिनका मापन electroencephalogram, echocardiogram और electroretinogram द्वारा संभव हैं. इन केन्द्रों में उत्पादित होने वाली विद्युत अनेक नाड़ियों द्वारा शरीर के प्रत्येक हिस्से तक पहुंचाई जाती हैं.
मानवीय रक्त में होने वाले परिवर्तन हमें रोगी या निरोगी बनातें हैं. रक्त में hemoglobin नामक लौह - तत्व सतत गतिशील होकर शरीर को एक चुम्बक बना देता हैं.अतः आकाशीय विद्युत चुम्बक का प्रभाव हमारे रक्त पर भी पड़ता हैं.
इस प्रकार ब्रह्मांडीय-विद्युत- चुम्बकीय तरंगों का असर जगह, समय और व्यक्ति विशेष के उपर अलग- अलग पड़ता हैं. एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से इन्हीं तरंगों की असमानता के कारन भिन्न-भिन्न होतें हैं.
ज्योतिष शास्त्र - रिफाइन या ब्लफ़
ज्योतिष शास्त्र एक विस्तृत और गूढ़ विज्ञान हैं. जो लोग इसके विपक्ष में दलीलें देतें हैं उनका निशाना अक्सर गलत भविष्यवानियाँ होती हैं जिसके आधार पर वे इसकी वैज्ञानिकता पर सवाल उठातें हैं.
आधुनिक चिकित्सा पद्धति इतनी विकसित और तर्क संगत हैं फिर भी चिकित्सकों का 50- 80 प्रतिशत निदान गलत साबित होतें हैं.
प्रसिद्ध हृदय-रोग विशेषज्ञ Sir James Mackenzie ने कहा की ----जीवन पर्यंत अनुसन्धान और शव -परिक्षण [autopsy ]के बाद यह निष्कर्ष निकला हैं की चिकित्सक ,साधारण रोग में 70 % गलत निदान करतें हैं.
आधुनिक चिकित्सा पद्धिति में मौलिक सिद्धांतों की कमी हैं. ह्रदय रोग, कैंसर, एड्स, दमा, मधुमय का पूर्ण निदान तो दूर साधारण जुकाम का भी कोई सटीक इलाज़ नहीं हैं.
पेट से सम्बंधित अधिकतर रोगों का उपचार permutation and combination पर आधारित होता हैं. लगभग 200 से अधिक व्याधियां हैं जो समझ में नहीं आने पर एलर्जी के रूप में परिभाषित कर दी जाती हैं.
जब उन्नति के कगार पर पहुंची चिकित्सा- विद्या का यह हाल हैं तो ज्योतिष शास्त्र को बदनाम करना बचपना मात्र हैं.
इसके अलवा भौतिक -विज्ञान में thought experiment , hypothesis , corollaries , assumption और infinity इत्यादि का बहुलता से प्रयोग , इस विज्ञान को subjective भी बनातें हैं .
अधिकत्तर लोगों में इस ज्ञान को ब्लफ़ कहने का रिवाज़ चल निकला हैं. परन्तु शायद ही कोई हो जो मन से इस पर विश्वास नहीं करता हैं .इसे झूठी -विद्या कहने वाले भी भी लुके-छिपे विशेषकर अपने ऊपर कोई विपत्ति पड़ने पर ज्योतिषियों के पास जाते और सलाह लेते हैं.
जिस प्रकार बीज़ के अन्दर एक पूर्ण वृक्ष का स्वरुप, प्रकृति, फलों का प्रकार आदि गुण छिपे रहतें हैं उसी प्रकार व्यक्ति की कुंडली में उसका समस्त व्यक्तितित्व एवं संभावनाएं छिपी रहती हैं.
अतः ज्योतिष शास्त्र एक महासागर के समान विशाल, गूढ़, देविक और विज्ञान सम्मत शास्त्र हैं.
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