Sunday, October 13, 2024

कुंडलिनी भूत शुद्धि मंत्र । Kundalini Bhoot Shuddhi Mantra । Kundalini Shakti

 



कुंडलिनी भूत शुद्धि मंत्र । Kundalini Bhoot Shuddhi Mantra  । Kundalini Shakti


भूत शुद्धि  एक प्राचीन योगिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य पंच महाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) को शुद्ध करना है। यह तत्व हमारे शरीर और पूरे अस्तित्व की नींव माने जाते हैं। भूत शुद्धि के माध्यम से व्यक्ति अपने अंदर और बाहरी वातावरण में संतुलन प्राप्त करता है, जिससे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि होती है। जब इन तत्वों को संतुलित कर दिया जाता है, तो जीवन में शांति, स्थिरता और आंतरिक खुशी का अनुभव होता है। भूत शुद्धि साधक को प्रकृति से जुड़ने और अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक ठोस आधार प्रदान करती है।

Bhoota Shuddhi, is an ancient yogic process aimed at purifying the five great elements (earth, water, fire, air, and space). These elements are considered the foundation of both our body and the entire existence. Through Bhoota Shuddhi, a person attains balance within themselves and with the external environment, leading to physical, mental, and spiritual purification. When these elements are harmonized, one experiences peace, stability, and inner joy in life. Bhoota Shuddhi helps the practitioner connect with nature and provides a strong foundation for spiritual growth.


This mantra consists of different invocations related to Kundalini Yoga, aligning the subtle energies within the human body along the Sushumna Nadi, which runs along the spine. Here’s a breakdown of the mantra with an explanation and translation in Hindi:


1. ॐ भूतशृङ्गाटात् शिरः सुषुम्णापथेन जीवशिवं परमशिवपदे योजयामि स्वाहा ।

Explanation: This mantra is a prayer to unite the life force (Jiva) with Shiva, the Supreme Consciousness, by guiding it through the Sushumna Nadi, an energy channel that runs along the spine, leading to the highest state of spiritual attainment.

Hindi Translation: "मैं भूत शृंगाट (मूलाधार या मूल ऊर्जा केंद्र) से, सुषुम्ना पथ के माध्यम से, जीव को शिव और परम शिव पद के साथ जोड़ता हूँ। स्वाहा।"


2. ॐ यं लिङ्गशरीरं शोषय शोषय स्वाहा ।

Explanation:  This is an invocation to dry up or dissolve the the Lingasharira, which refer to the subtle or astral body, or lower forms of existence, helping the practitioner transcend the material plane.

Hindi Translation: "हे यं, लिङ्ग शरीर ( सूक्ष्म शरीर )  को शोषित करो, शोषित करो। स्वाहा।"


3. ॐ रं संकोच शरीरं दह दह स्वाहा ।

Explanation: Here, the mantra asks to burn or dissolve the constricted or contracted body or energies, often related to karmic blockages, and  purify and prepare the soul for ascension.

Hindi Translation: "हे रं, संकुचित शरीर को जलाओ, जलाओ। स्वाहा।"


4. ॐ परमशिव सुषुम्णापथेन मूलशृङ्गाटम् उल्लस उल्लस ज्वल, ज्वल प्रज्वल प्रज्वल सोऽहं हंसः स्वाहा ।

Explanation: This invocation seeks the activation and blazing up of Kundalini energy from the root center (Muladhara) through the Sushumna Nadi, reaching the Supreme Shiva consciousness. (So'ham Hamsah – "I am That").

Hindi Translation: "ॐ परम शिव, सुषुम्ना पथ के माध्यम से, मूल शृंगाट में उल्लास (जागृत) हो, ज्वलित हो, और प्रज्वलित हो। मैं वही हूँ, हंस स्वरूप। स्वाहा।"


In summary, this mantra is a powerful call to awaken and purify the energy within, guiding it along the Sushumna Nadi (central energy channel), dissolving limitations, and merging with the supreme Shiva consciousness. It uses seed mantras of specific chakras to activate the air, water, and fire elements (symbolizing purification) to dissolve, dry, and burn away the subtle bodies and their karmic limitations, thereby activating the Kundalini energy at the base of the spine.

सारांश में, यह मंत्र भीतर की ऊर्जा को जागृत और शुद्ध करने का एक शक्तिशाली आह्वान है, जो सुषुम्ना नाड़ी (मुख्य ऊर्जा चैनल) के साथ मार्गदर्शन करता है, सीमाओं को भंग करता है और उसे परम शिव चेतना में मिलाता है। यह विशिष्ट चक्रों के बीज मंत्रों का उपयोग करके वायु, जल और अग्नि तत्वों को सक्रिय करता है (जो शुद्धिकरण का प्रतीक हैं) ताकि सूक्ष्म शरीरों और उनके कर्म बंधनों को घोलने, सुखाने और जलाने के लिए और साथ ही कंडलिनी ऊर्जा को मेरुदंड के मूल में सक्रिय कर सके।

 

The Bhoot Shuddhi Mantra is :


ॐ भूतशृङ्गाटात् शिरः सुषुम्णापथेन जीवशिवं परमशिवपदे योजयामि स्वाहा । ॐ यं लिङ्गशरीरं शोषय शोषय स्वाहा ।ॐ रं संकोच शरीरं दह दह स्वाहा ।ॐ परमशिव सुषुम्णापथेन मूलशृङ्गाटम् उल्लस उल्लस 

ज्वल, ज्वल ,प्रज्वल प्रज्वल ,सोऽहं हंसः स्वाहा ।


Here is the text in English letters:


Om bhūtaśṛṅgāṭāt śiraḥ suṣumṇāpathena jīvaśivaṃ paramaśivapade yojayāmi svāhā. Om yaṃ liṅgaśarīraṃ śoṣaya śoṣaya svāhā. Om raṃ saṃkoca śarīraṃ daha daha svāhā. Om paramaśiva suṣumṇāpathena mūlaśṛṅgāṭam ullasa ullasa jvala, jvala, prajvala prajvala, so'ham haṃsaḥ svāhā.

सम्पूर्ण श्री दुर्गा सप्तशती का हिंदी पाठ

 


सम्पूर्ण श्री दुर्गा सप्तशती का हिंदी पाठ 


पर्वतराज हिमालय की कन्या, पृथ्वी  को आनन्दित करने वाली, संसार को हर्षित रखने वाली, नन्दिगण से नमस्कार की जाने वाली, गिरिश्रेष्ठ विन्ध्याचल के शिखर पर निवास करने वाली, भगवान विष्णु को प्रसन्न रखने वाली, इन्द्र से नमस्कृत होने वाली, भगवान शिव की भार्या के रूप में प्रतिष्ठित, विशाल कुटुम्ब वाली और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 देवराज इन्द्र को समृद्धिशाली बनाने वाली, दुर्धर तथा दुर्मुख नामक दैत्यों का विनाश करने वाली, सर्वदा हर्षित रहने वाली, तीनों लोकों का पालन-पोषण करने वाली, भगवान शिव को संतुष्ट रखने वाली, पाप को दूर करने वाली, घोर गर्जन करने वाली, दैत्यों पर भीषण कोप करने वाली, मदान्धों के मद का हरण कर लेने वाली, सदाचार से रहित मुनिजनों पर क्रोध करने वाली और समुद्र की कन्या महालक्ष्मी के रूप में प्रतिष्ठित हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 जगत की मातास्वरूपिणी, कदम्ब वृक्ष के वन में प्रेमपूर्वक निवास करने वाली, सदा संतुष्ट रहने वाली, हास-परिहास में सदा रत रहने वाली, पर्वतों में श्रेष्ठ ऊँचे हिमालय की चोटी पर अपने भवन में विराजमान रहने वाली, मधु से भी अधिक मधुर स्वभाव वाली, मधु-कैटभ का संहार करने वाली, महिष को विदीर्ण कर डालने वाली और रासक्रीडा में मग्न रहने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 गजाधिपति के बिना सूँड़ के धड़ को काट-काट कर सैकड़ों टुकड़े कर देने वाली, सेनाधिपति चण्ड-मुण्ड नामक दैत्यों को अपने भुजदण्ड से मार-मार कर विदीर्ण कर देने वाली, शत्रुओं के हाथियों के गण्डस्थल को भग्न करने में उत्कट पराक्रम से सम्पन्न कुशल सिंह पर आरूढ़ होने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


रणभूमि में मदोन्मत्त शत्रुओं के वध से बढ़ी हुई अदम्य तथा पूर्ण शक्ति धारण करने वाली, चातुर्यपूर्ण विचारवाले लोगों में श्रेष्ठ और गम्भीर कल्पनावाले प्रमथाधिपति भगवान शंकर को दूत बनाने वाली, दूषित कामनाओं तथा कुत्सित विचारोंवाले दुर्बुद्धि दानवों के दूतों से न जानी जा सकने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 शरणागत शत्रुओं की स्त्रियों के वीर पतियों को अभय प्रदान करनेवाले हाथ से शोभा पाने वाली, तीनों लोकों को पीड़ित करनेवाले दैत्य शत्रुओं के मस्तक पर प्रहार करने योग्य तेजोमय त्रिशूल हाथ में धारण करने वाली तथा देवताओं की दुन्दुभि से निकलने वाली ‘दुम्-दुम्’ ध्वनि से समस्त दिशाओं को बार-बार गुंजित करने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


अपने हुंकार मात्र से धूम्रलोचन तथा धूम्र आदि सैकड़ों असुरों को भस्म कर डालने वाली, युद्धभूमि में कुपित रक्तबीज के रक्त से उत्पन्न हुए अन्य रक्तबीज समूहों का रक्त पी जाने वाली और शुम्भ-निशुम्भ नामक दैत्यों के महायुद्ध से तृप्त किये गये मंगलकारी शिव के भूत-पिशाचों के प्रति अनुराग रखने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 समरभूमि में धनुष धारण कर अपने शरीर को केवल हिलाने मात्र से शत्रुदल को कम्पित कर देने वाली, स्वर्ण के समान पीले रंग के तीर और तरकश से सज्जित, भीषण योद्धाओं के सिर काटने वाली और (हाथी, घोड़ा, रथ, पैदल) चारों प्रकार की सेनाओं का संहार करके रणभूमि में अनेक प्रकार की शब्दध्वनि करनेवाले बटुकों को उत्पन्न करने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो ।


 देवांगनाओं के तत-था-थेयि-थेयि आदि शब्दों से युक्त भावमय नृत्य में मग्न रहने वाली, कुकुथा आदि विभिन्न प्रकार की मात्राओं वाले तालों से युक्त आश्चर्यमय गीतों को सुनने में लीन रहने वाली और मृदंग की धुधुकुट-धूधुट आदि गम्भीर ध्वनि को सुनने में तत्पर रहने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 हे जपनीय मन्त्र की विजयशक्ति स्वरूपिणि ! आपकी बार-बार जय हो । जय-जयकार शब्दसहित स्तुति करने में तत्पर समस्त संसार के लोगों से नमस्कृत होने वाली, अपने नूपुर के झण-झण, झिंझिम शब्दों से भूतनाथ भगवान शंकर को मोहित करने वाली और नटी-नटों के नायक प्रसिद्ध नट अर्धनारीश्वर शंकर के नृत्य से सुशोभित नाट्य देखने में तल्लीन रहने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


प्रसन्नचित्त तथा संतुष्ट देवताओं के द्वारा अर्पित किये गये पुष्पों से अत्यन्त मनोरम कान्ति धारण करने वाली, निशाचरों को वर प्रदान करनेवाले शिवजी की भार्या, रात्रिसूक्त से प्रसन्न होने वाली, चन्द्रमा के समान मुखमण्डल वाली और सुन्दर नेत्रवाले कस्तूरी मृगों में व्याकुलता उत्पन्न करने वाले भौंरों से तथा भ्रान्ति को दूर करने वाले ज्ञानियों से अनुसरण की जाने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 महनीय महायुद्ध के श्रेष्ठ वीरों के द्वारा घुमावदार तथा कलापूर्ण ढंग से चलाये गये भालों के युद्ध के निरीक्षण में चित्त लगाने वाली, कृत्रिम लतागृह का निर्माण कर उसका पालन करने वाली स्त्रियों की बस्ती में ‘झिल्लिक’ नामक वाद्यविशेष बजाने वाली भिल्लिनियों के समूह से सेवित होने वाली और कान पर रखे हुए विकसित सुन्दर रक्तवर्ण तथा श्रेष्ठ कोमल पत्तों से सुशोभित होने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


सुन्दर  दंतपंक्ति वाली स्त्रियों के उत्कण्ठापूर्ण मन को मुग्ध कर देनेवाले कामदेव को जीवन प्रदान करने वाली, निरन्तर मद चूते हुए गण्डस्थल से युक्त मदोन्मत्त गजराज के सदृश मन्थर गति वाली और तीनों लोकों के आभूषण स्वरुप चन्द्रमा के समान कान्तियुक्त सागर कन्या के रूप में प्रतिष्ठित हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 कमलदल के सदृश वक्र, निर्मल और कोमल कान्ति से परिपूर्ण एक कलावाले चन्द्रमा से सुशोभित उज्ज्वल ललाट पटल वाली, सम्पूर्ण विलासों और कलाओं की आश्रयभूत, मन्दगति तथा क्रीड़ा से सम्पन्न राजहंसों के समुदाय से सुशोभित होने वाली और भौंरों के सदृश काले तथा सघन केशपाश की चोटी पर शोभायमान मौलश्री पुष्पों की सुगन्ध से भ्रमर समूहों को आकृष्ट करने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 आप हाथ में सुशोभित मुरली की ध्वनि सुनकर बोलना बंद करके लाज से भरी हुई कोकिल के प्रति प्रिय भावना रखने वाली, भौंरों के समूहों की मनोहर गूँज से सुशोभित पर्वत प्रदेश के निकुंजों में विहार करने वाली और अपने भूत तथा भिल्लिनी आदि गणों के नृत्य से युक्त क्रीड़ाओं को देखने में सदा तल्लीन रहने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


अपने कटिप्रदेश पर सुशोभित पीले रंग के रेशमी वस्त्र की विचित्र कान्ति से सूर्य की प्रभा को तिरस्कृत कर देने वाली, सुमेरु पर्वत के शिखर पर मदोन्मत्त गर्जना करनेवाले हाथियों के गण्डस्थल के समान वक्षस्थल वाली और आपको प्रणाम करनेवाले देवताओं तथा दैत्यों के मस्तक पर स्थित मणियों से निकली हुई किरणों से प्रकाशित चरणनखों में चन्द्रमा सदृश कान्ति धारण करने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 हजारों हस्त नक्षत्रों को जीतनेवाले और सहस्र किरणोंवाले भगवान सूर्य की एकमात्र नमस्करणीय, देवताओं के उद्धार हेतु युद्ध करनेवाले, तारकासुर से संग्राम करनेवाले तथा संसार सागर से पार करनेवाले शिवजी के पुत्र कार्तिकेय से प्रणाम की जाने वाली और राजा सुरथ तथा समाधि नामक वैश्य की सविकल्प समाधि के समान समाधियों में सम्यक जपे जानेवाले मन्त्रों में प्रेम रखने वाली हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 हे करुणामयी कल्याणमयी शिवे ! हे कमलवासिनी कमले ! जो मनुष्य प्रतिदिन आपके चरणकमल की उपासना करता है, उसे लक्ष्मी का आश्रय क्यों नहीं प्राप्त होगा । हे शिवे ! आपका चरण ही परमपद है, ऐसी भावना रखनेवाले मुझ भक्त को क्या-क्या सुलभ नहीं हो जायेगा अर्थात सब कुछ प्राप्त हो जायेगा । हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


स्वर्ण के समान चमकते घड़ों के जल से जो आपके प्रांगण की रंगभूमि को प्रक्षालित कर उसे स्वच्छ बनाता है, वह इन्द्राणी के समान विशाल वक्षस्थलों वाली सुन्दरियों का सान्निध्य सुख अवश्य ही प्राप्त करता है । हे सरस्वति ! मैं आपके चरणों को ही अपनी शरणस्थली बनाऊँ, मुझे कल्याणकारक मार्ग प्रदान करो । हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 स्वच्छ चन्द्रमा के सदृश सुशोभित होनेवाले आपके मुखचन्द्र को निर्मल करके जो आपको प्रसन्न कर लेता है, क्या उसे देवराज इन्द्र की नगरी में रहने वाली चन्द्रमुखी सुन्दरियाँ सुख से वंचित रख सकती हैं । भगवान शिव के सम्मान को अपना सर्वस्व समझने वाली हे भगवति ! मेरा तो यह विश्वास है कि आपकी कृपा से क्या-क्या सिद्ध नहीं हो जाता । हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 हे उमे ! आप सदा दीन-दुःखियों पर दया का भाव रखती हैं, अतः आप मुझपर कृपालु बनी रहें । हे महालक्ष्मी ! जैसे आप सारे संसार की माता हैं, वैसे ही मैं आपको अपनी भी माता समझता हूँ । हे शिवे ! यदि आपको उचित प्रतीत होता हो तो मुझे अपने लोक में जाने की योग्यता प्रदान करें । हे देवि ! मुझपर दया करें । हे भगवान शिव की प्रिय पत्नी महिषासुर मर्दिनी पार्वती ! आपकी जय हो, जय हो।


 जो मनुष्य शान्तभाव से पूर्णरूप से मन को एकाग्र करके तथा इन्द्रियों पर नियन्त्रण कर नियमपूर्वक प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ करता है, भगवती महालक्ष्मी उसके यहाँ सदा वास करती हैं और उसके बन्धु-बान्धव तथा शत्रुजन भी सदा उसकी सेवा में तत्पर रहते हैं।


महिषासुर मर्दिनी: देवी दुर्गा की वंदना (राग शिवरंजनी या रेवती पर आधारित लयबद्ध गीत)

 



महिषासुर मर्दिनी: देवी दुर्गा की वंदना

पर्वतराज हिमालय की कन्या, तू आनन्द की धारा,

संसार को हर्षित करती, तू जगत की पालनहारा।

नंदीगण भी करे वंदना, विन्ध्य के शिखरों पर वास,

विष्णु की प्रिय, इन्द्र से पूजित, शिव संग तेरा है विलास।


जय हो, जय हो महिषासुर मर्दिनी, पार्वती!

शिवप्रिय देवी, जय हो शक्ति अविनाशी!


इन्द्र को दे समृद्धि, तूने दानवों का नाश किया,

दुर्धर और दुर्मुख को, रण में तूने परास्त किया।

तीनों लोकों का पोषण कर, शिव को तूने संतोष दिया,

पाप हरती, दैत्यों का विनाश कर, तूने धर्म का दीप जला।


जय हो, जय हो महिषासुर मर्दिनी, पार्वती!

रण की नायिका, शक्ति की तू अविरल धारा!


समुद्र की कन्या लक्ष्मी-रूपिणी, तू करती कोप प्रबल,

मद में डूबे दैत्यों का, करती तू संहार अचल।

सदा हर्षित, तीनों लोकों की तू पालनहार महान,

शिव की प्रिया, पर्वतपुत्री, तेरी महिमा हो अज्ञात।


जय हो, जय हो महिषासुर मर्दिनी, पार्वती!

सर्वशक्ति स्वरूपिणी, अमर जयकार निरंतर!


कदम्ब वन में क्रीड़ा करती, सदा संतुष्ट और मधुर,

हिमालय की ऊँचाई पर, तेरे भवन का होतें दर्शन अद्भुत।

मधु-कैटभ का संहार किया, महिषासुर का भी अंत किया,

मधुरमयी तेरी क्रीड़ाएँ, तूने जग को सुख से भरा।


जय हो, जय हो महिषासुर मर्दिनी, पार्वती!

शिव संग शोभा करती, रण में तुम हो प्रचंड, अनवरत।


हे जगजननी, पर्वतराज की महिमा तूने बढ़ाई,

दैत्यों का नाश कर, धरती पर विजयध्वजा फहराई।

शत्रु पर प्रहार कर, तूने समृद्धि से जग को भरा,

महिषासुर मर्दिनी, तेरी जय जयकार से जग खिला।


जय हो, जय हो महिषासुर मर्दिनी, पार्वती!

शिवप्रिय देवी, जय हो शक्ति की अमर गाथा!


गजाधिपति की सूँड़ को, काट डाले सैकड़ों टुकड़े,

सेनापति चण्ड-मुण्ड का, तूने अंत किया झटके।

शत्रु के हाथी गण्डस्थल को, भग्न किया सिंह सवार,

हे महिषासुर मर्दिनी, तुझको बारंबार नमस्कार।


जय हो, जय हो, महिषासुर मर्दिनी, शिवप्रिय देवी पार्वती,

शक्ति की मूर्ति, रण में तूने दैत्यों का संहार किया।


रणभूमि में शत्रुओं को, तूने मद से विहीन किया,

शिव के संग दूत बना, दूषित कामना का अंत किया।

अदम्य शक्ति से संपन्न, तूने किया सर्वत्र उजागर,

हे महिषासुर मर्दिनी, तेरी शक्ति अपरंपार।


जय हो, जय हो, महिषासुर मर्दिनी, शिवप्रिय देवी पार्वती,

शत्रु को हरने वाली, तुम हो विजय की दाता।


शरणागत शत्रुओं की स्त्रियों को, तूने दिया अभय वरदान,

त्रिशूल उठा, दैत्यों पर किया तूने प्रहार महान।

दिशाओं में गूँज उठी, दुन्दुभि की 'दुम-दुम' ध्वनि,

हे महिषासुर मर्दिनी, तेरी जय-जयकार सजीव बनी।


जय हो, जय हो, महिषासुर मर्दिनी, शिवप्रिय देवी पार्वती,

तीनों लोकों को तुझसे मिला सुरक्षा का आभास।


हुंकार से धूम्रलोचन को, तूने भस्म कर डाला,

रक्तबीज का रक्त पीकर, रणभूमि में विजय संभाला।

शुम्भ-निशुम्भ से युद्ध कर, शिव के भूतों को संतुष्ट किया,

हे महिषासुर मर्दिनी, तेरी महिमा अनंत और दीप्त।


जय हो, जय हो, महिषासुर मर्दिनी, शिवप्रिय देवी पार्वती,

शक्ति की देवी, तुम हो सर्वशक्तिमान की साक्षात मूर्ति।


समरभूमि में खड़ी वीरांगना, धनुष से रण को करती शंखनाद,

शत्रु दल हो जाता कम्पित, केवल हिलने से तू दिखाती प्रहार।

स्वर्ण तीरों से सज्जित तरकश, तूने योद्धाओं के सिर काट गिराए,

चारों सेनाओं का संहार कर, रणभूमि में बटुकों को जगाए।


जय हो, जय हो, महिषासुर मर्दिनी, शिवप्रिय देवी पार्वती,

रण की देवी, तुझसे रणभूमि में गूंज उठे हैं जयकार।


देवांगनाओं के नृत्य में, मग्न हुई तू भावमयी धारा,

कुकुथा आदि तालों पर, गाने में लीन रहे स्वर प्यारा।

मृदंग की ध्वनि धुधुकुट-धूधुट, गम्भीर सुरों से तू प्रसन्न,

हे महिषासुर मर्दिनी, तेरी जय हो, तू है रण में महान।


जय हो, जय हो, महिषा सुर मर्दिनी, शिवप्रिय देवी पार्वती,

तू है नृत्य की रचयिता, तेरी लय में है संसार का संहार।


हे जपनीय मन्त्र की शक्ति, विजय का है तुझसे आशीर्वाद,

संसार तुझसे स्तुति करे, तेरे नूपुरों से मोहित भूतनाथ।

अर्धनारीश्वर संग नृत्य करे, नाट्य की नायिका हो तू महान,

हे महिषासुर मर्दिनी, तेरी महिमा से है नृत्य का उत्थान।


जय हो, जय हो, महिषासुर मर्दिनी, शिवप्रिय देवी पार्वती,

तू है नाट्य की रचयिता, तेरी रचना से सुंदर है सृष्टि का भाव।


देवताओं के पुष्पों से तूने, अपनी कान्ति को किया अलंकृत,

शिव की प्रिय, तू रात्रिसूक्त से, संसार को करती है शुद्ध।

चन्द्रमुखी तू, सुंदर नेत्रों से, करुणा का करती है बोध,

हे महिषासुर मर्दिनी, तू है, ज्ञानियों की आराधना का स्रोत।


जय हो, जय हो, महिषासुर मर्दिनी, शिवप्रिय देवी पार्वती,

तू है करुणामयी, संसार तुझसे ही पाता है मोक्ष।


युद्ध के वीरों के भाले, जब चक्र में घूमते रणभूमि में,

तू देखती हर घात-प्रहार, चित्त लगाती युद्ध कला में।

स्त्रियों के संग तूने, कृत्रिम लता गृह बनाया,

भिल्लिनियों के वाद्य संग, तूने कंठ को सजाया।


जय हो, जय हो, महिषासुर मर्दिनी, शिवप्रिय देवी पार्वती,

रण की देवी, तुझसे जगती है रणभूमि की जय-जयकार।


सुंदर दंतपंक्ति वाली, कामदेव को जीवन देने वाली,

मदोन्मत्त गजराज की चाल से, तीनों लोकों की शोभा सजाने वाली।

सागर कन्या के रूप में प्रतिष्ठित, कान्तिमयी तु धारा,

हे शिव की प्रिय पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, जय-जयकार तुम्हारा!


जय हो, जय हो, हे महिषासुर मर्दिनी,

तेरी महिमा अपरम्पार, जय-जयकार तुम्हारा!


चन्द्रकलामय मुख की शोभा, उज्जवल ललाट की ज्योति,

कोमल और विलासमयी, तेरा रूप अनुपम कान्ति।

राजहंसों की मंद चाल, केशों में मौलश्री पुष्पों का हार,

हे शिव की प्रिय पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, तुझको बारम्बार नमस्कार।


जय हो, जय हो, हे महिषासुर मर्दिनी,

शिवप्रिय माता, तेरी जय हो अपार!


मुरली की ध्वनि सुनकर, मौन हो जाती कोकिला लाज,

भौंरों की गुंजार संग, पर्वत निकुंजों में तेरा विहार।

भूत-भिल्लिनी संग क्रीड़ा में तल्लीन,

हे शिव की प्रिय पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, तेरी जय हो हर दीन।


जय हो, जय हो, हे महिषासुर मर्दिनी,

तेरे चरणों में जग का उद्धार!


पीले रेशमी वस्त्र से शोभित, सूर्य की प्रभा को तिरस्कृत,

मदोन्मत्त हाथियों के समान, तेरा रूप विकराल, अविस्मृत।

देवताओं और दैत्यों के शीश पर, किरणें बिखराए चरणनख,

हे शिव की प्रिय पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, तेरा तेज अपार, अटल।


जय हो, जय हो, हे महिषासुर मर्दिनी,

शिव की संगिनी, तेरा आशीर्वाद विशाल!


सहस्रों हस्त नक्षत्रों की विजयिनी, सूर्य के सम तेजमयी,

तारकासुर संग्राम में जय प्राप्त की, शिवपुत्र कार्तिकेय की माँ।

सुरथ और समाधि का ध्यान, समाधि में प्रेम स्वरूप तुम्हारा,

हे शिव की प्रिय पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, तुझको बारम्बार नमन हमारा।


जय हो, जय हो, हे महिषासुर मर्दिनी,

तेरी महिमा अपार, तुझसे जुड़ी हर आशा।


हे कल्याणमयी, करुणामयी, कमलवासिनी हे माँ,

तेरे चरणकमल की आराधना से, लक्ष्मी का होता वास हर जगह।

हे शिवे, तेरा चरण है परमपद,

तेरी शरण में, सब इच्छाएँ होतीं पूर्ण, अचल।


जय हो, जय हो, हे महिषासुर मर्दिनी,

तू है सर्वसमर्थ, तेरा पथ करुणा भरा!


जो तेरे प्रांगण को जल से धोता, पाता है इन्द्राणी का सान्निध्य,

सुन्दरियों संग तेरा मिलन, वरदायिनी हो तू, भवसागर पार कराने वाली।

तेरे चरणों में जो करता नमन, उसे सुख-समृद्धि अवश्य मिलती,

हे शिव की प्रिय पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, तेरा अनंत आशीर्वाद सबको मिलता।


जय हो, जय हो, हे महिषासुर मर्दिनी,

तेरे चरणों की सेवा, करती है जगत का कल्याण।


शान्तचित्त से जो करता है तेरा स्तोत्र पाठ,

तू ही हो माँ लक्ष्मी, और करती जीवन में प्रवेश बिना किसी रोक।

शत्रु भी तुझसे सेवा करें, और बन्धु-बांधव सदा साथ रहें,

हे शिव की प्रिय पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, तेरी कृपा से सब कुछ संभव है।


जय हो, जय हो, हे महिषासुर मर्दिनी,

तू ही जग की रचयिता, तेरा अंश है जीवन का हर सुख।

Thursday, July 8, 2021

Green Chili as a Potential Therapeutic Candidate for the Treatment of Corona

              


 Green chili is an integral part of Indian, Thai and Mexican   cuisine; it is frequently used as a spice and as a vegetable. The plethora of nutrition and medicinal quality gives it an extra importance; Green chili is rich in many minerals, vitamins and amino acids essential for human health. 

Biochemical and Pharmacological properties of green chili 

          Anti –oxidant

          Anti-inflammatory

          Anti-allergenic

          Anti-arthritis

          Anti- rhinitis

          Anti-microbial

          Anti-carcinogenic

          Anti-coagulant

          Anti-cholesteremic

          Anti-ulcer

          Anti-diabetic

          Anti-epileptic

          Analgesic 

Nutritional and Chemical constituents of green chili (per 100gm)

 

Calories

40

Total Fat

0.2 g

Sodium

7 mg

Potassium

340 mg

Total Carbohydrate

9 g

Protein

2 g

Vitamin A

2 g

Calcium

0.01

Vitamin C

404%

Iron

6%

Vitamin B-6

15%

Magnesium

6%



 Capsaicinoids  are the name given to the class of compounds found in members of the capsicum family . The most common capsaicinoid is capsaicin. Capsaicin, pronounced “cap-SAY-sin”, is the chemical compound that gives hot chili peppers the heat you experience when eating them.Other than  capsaicin, dihydrocapsaicin, nordihydrocapsaicin, homocapsaicin and homohydrocapsaicin, nornordihydrocapsaicin are also found in raw green chili.


•Flavonoids :
are phytonutrients like  myrecetin and luteolin

•Vitamins : vitamins A, C, B,B2,B6, E ,K and P

•Mineral : calcium, magnesium, folate, potassium, thiamine, iron,  copper etc.

•Carotenoids

•Steroids :

•Steroidal :

•Glycosides :

•Polyphenols :

•Essential amino acids: tryptophan,Lysine, Phenylamine

·       * Macronutrients: half cup ( 75 gm ) raw green chili provides 30 calories,1.5 gm of protein,0.15 gm of fat,7.1 gm  of carbohydrate and 1.1 gm of fiber .

•Dietary fibers: Green chilies are loaded with dietary fiber that helps in colon cleansing and keeping your bowel movements healthy. Fiber is vital for bulking up waste and easing its movement out of the system, preventing constipation. 

Potential effects of Green chili in the treatment of Covid‐19 symptoms

Most common symptoms: 

Fever: 

Green chili stabilizes the body temperature by stimulating hypothalamus in the brain 

Dry cough: 

 Capsaicin possesses anti-inflammatory properties and green chili contains high percentage of vitamin C which prevent respiratory infection and strengthen the immune system 

Tiredness: 

Green chili contain high amount of beta –carotene, vitamin A and Vitamin C which help in building immune system of the body. Capsaicin also boosts the defense system of the body 

Less common symptoms: 

Aches and pains: 

Capsaicin is a natural pain killer. Capsaicin makes the brain to release a neurotransmitter called substance P, this makes the brain think that the body is in pain making body respond to chili, the heart beats rapidly and the natural painkiller endorphin is released. 

Sore throat: 

 Capsaicin as an anti microbial, anti-inflammatory agent with vitamin C prevent throat infection and dilate  the mucus secretion to become thinner. 

Diarrhea: 

 Capsaicin possesses antibacterial properties , it inhabit acid secretion in the stomach  but stimulates alkali mucus secretion and particularly gastric mucosal blood flow which helps in preventing formation of  ulcers in stomach wall , Capsaicin acts by stimulating afferent neuron in stomach and signals for protection  against any pathogen .Green chili is rich in antioxidants and other compounds  that  can  soothe  other  digestive issues,  like  upset  stomachs,  intestinal  gas, diarrhea,  and  cramps. 

Conjunctivitis: 

 Green chili has anti inflammatory and anti -microbial properties and the presence of vitamin C and beta –carotene fight against conjunctivitis or any other eye infection. 

Headache: 

Green chili reduces inflammation in the brain and stimulates the blood flow to that area which release endorphin into brain which subsequently diminishes the headache. 

Also green chilies are rich in nutrients such as vitamin B6, B12 and foliate, which promote brain functioning. 

Loss of taste or smell:

 The capsaicin in green chilies helps in stimulating the mucus in the nose and stimulates the flow of blood causing the mucus to get thinner. This makes it easy to cure common flu or sinus infection and restore the lost taste and smell sensation. 

Rash on skin, or discoloration of fingers or toes: 

 Green chili contains ample amount of vitamin C and anti-microbial properties help in curing skin infections and acne. 

Serious symptoms: 

Difficulty breathing or shortness of breath: 

The content in the green chilies helps to aid the lungs issues as well,such as pneumonia or enema. The rich content in green chili can help to relieve the air-blocks from the lungs as well. Green chilies have natural steroids lanosterol and lanostenol which manipulate the immune system to reduce the inflammation of lungs cells by immediately reducing the cytokines storm in the lungs ,resulting in increasing the oxygen level of the body. 

Chest pain or pressure: 

Green chili reduces blood cholesterol, triglyceride level and platelets aggregation, thus it lowers the risk of heart    attack, stroke and pulmonary embolism, Green chili prevents the deposition of fat along blood vessels wall, lowers blood pressure and heart rate . Green  chilies  have  potentiality to  reduce blood cholesterol, tri-glyceride levels, and platelet aggregation, while increasing  the ability  of body  to  dissolve fibrin,  a substance integral to the formation of blood clots. Green chilies are high in Potassium   can help relax your blood vessels, which makes blood, flow much easier on your body.  Chili also contains riboflavin and niacin.  The latter is responsible for maintaining healthy cholesterol levels and in turn, lower the risk for heart disease. Capsaicin reduces  ventricular tachycardia and ventricular fibrillations. Capsaicin also dramatically improved blood flow to the heart. 

Loss of speech or movement: 

Green chili can also help with new blood cell formation.  This is due to the fact that green chilis are rich in copper and iron. As such, they are able to treat symptoms of anemia and fatigue.  Additionally, green  chili   also contain  folic  acid,  which  is  key  to  fighting anemia and producing healthy red blood cells. Capsaicin releases the good endorphins and acts as anti-depressant keeping the mood positive. 

Effect of green chili on long Covid19 symptoms

Types of Post-covid Conditions/Long covid 

Long COVID is a range of symptoms that can last weeks or months after first being infected with the virus that causes COVID-19 or can appear weeks after infection. Long COVID can happen to anyone who has had COVID-19, even if the illness was mild, or they had no symptoms. People with long COVID report experiencing different combinations of the following symptoms: 

          Tiredness or fatigue

          Difficulty thinking or concentrating (sometimes referred to as “brain fog”)

          Headache

          Loss of smell or taste

          Dizziness on standing

          Fast-beating or pounding heart (also known as heart palpitations)

          Chest pain

          Difficulty breathing or shortness of breath

          Cough

          Joint or muscle pain

          Depression or anxiety

          Fever

          Symptoms that gets worse after physical or mental activities

Serious long term after Covid 19 symptoms

          Diabetes

          Mucormycosis

          Bone death

          Multiple organ damage (heart, brain, lungs, kidney )

*        Multi- system inflammatory syndrome 


Capsaicin, Potassium,Vitamin C and bio- steroids found in green chilies are key ingredients fight against long and serious covid19 symptoms like diabetes, heart problems, bone death ,  mucormyrosis etc. Capsaicin,Potassium, Vitamin C increase the alkalinity of blood and mucous in the body. The increased alkalinity of blood and mucous in body further inactivate the viruses replication and kills the pathogen bacteria, and immediately reduces the inflammation ,the person can easily get rid of all flu symptoms within a short span of time.The bio- steroids found in green chili can smartly  accelerate the immune system to kill the corona virus in first stage and in second stage these bio steroids retard the immune system to stop or slow  the cytokines storm in lungs which causes lungs inflammation and oxygen deficiency . Unlike chemical steroids these bio steroids are self guided and can smartly control the acceleration and retardation of immune system according to body need . More ever these bio steroids are harmless and have no side effects .


How to take green chili in flu like symptoms: 


As soon as you notice the first symptom of flu (fever, cough, sore throat, runny nose headache, body aches etc), immediately start the following procedure: 

Take two fresh green chili, wash them thoroughly with clean water, slit them horizontally from top to bottom, then soak these chilies in a glass of water and keep them overnight. After this, in morning  filter the water and in which green chilies were soaked and drink it empty stomach. 



 Keep in mind that you do not have to eat or drink anything at least for one hour after drinking this chili  water. After one hour you can resume your old routine. Continue drinking  soaked green  chili water for 3 consecutive days till all flu like symptoms vanish completely. 

 In most of  cases, the person will get relief from flu like symptoms within 3 days of drinking soaked chili water, but if the symptoms persist further after 3 days then he should repeat the same procedure after some days break. For quick results avoid animal,dairy ,refined,packed food  products during chili water therapy .  

Follow the following procedure : 

For mild flu symptom: 

Soak overnight two slit green chilies in a glass of  water, drink this chili water in the morning empty stomach for 3 consecutive days . Mostly  all the flu symptoms of mild corona will vanish in 3 days , then stop the chili water procedure .

For Prolong flu symptoms: 

 Soak overnight   two slit green chili in a glass of  water ,drink this chili water empty stomach in the morning for 3 consecutive days.Then continue .....

* Soak overnight two whole green chili (without any slit) in a glass of water, drink this chili water in morning  empty stomach for consecutive 4 days. Then continue ...

•Again soak overnight two slit  green chilies in a glass of  water ,drink this chili water empty stomach in the morning for another 3 days

•Within one week or 10 days  all the flu symptoms will vanish completely. Then stop the chili water procedure.

For children 6- 12 years 

Soak overnight two green chili (one slitted and one whole) in a glass of water , drink   this chili water empty stomach in morning for consecutive 3 days. 

For children below 6 year 

•Soak overnight  two whole green chili (without any slit) in a glass of water, drink this chili water in morning empty stomach for 3 consecutive days. 

Enhance or boost immunity against any flu:

Soak overnight two slit green chilies in a glass of water, drink this chili water in morning empty stomach for two consecutive days in every week , this will boost your immunity against any flu infections. 

Precautions: 

Soaked green chili water procedure should not be attempted by 

          Pregnant women

          Person having stomach ulcer

          Person having piles

          Person having allergy from chilies.  

By

Geeta Jha

India