विज्ञान
के लिए जो
अज्ञात हैं उसे
वह डार्क-एरिया घोषित
कर चूका हैं.
इसलिए अभी तक
सूक्ष्म सत्ता चेतना से उसका
परिचय नहीं हुआ
हैं. सर्वप्रथम Einstein के
विषय में , वे
अपने जीवन के
अंतिम समय पर ऋषियों
के मायावाद सिद्धांत
पर पहुँच गए
थे. उन्होनें बताया
की काल और
स्थान सापेक्ष हैं
और वे प्रकाश
के माप पर
आधारित हैं. इस
आधार पर वे
unified - field -thoery सिद्ध
करना चाहते थे.
आइन्सटाइन की unified theory के अनुसार ,ब्रह्माण्ड में कोई एक एकात्म - क्षेत्र [unified
-field ] ऐसा हैं जिसमें विधुत शक्ति, चुम्बकीय बल और गुरुत्वाकर्षण बल भी होता होगा..यह क्षेत्र इन तीनों से युक्त और मुक्त भी होगा. यहीं वो तत्व हैं जो प्रकाश को धारण कर उसकी गति से किसी भी वास्तु को स्थानान्तरित कर सकता हैं. पदार्थ को शक्ति में बदल कर उसे कहीं भी सूक्ष्म अणुओं के रूप में बहाकर ले जा सकता हैं. यह फील्ड ऊर्जा के अत्यंत उच्चतम आयाम पर होता हैं .इसमें विद्युतीय ,चुम्बकीय और गुरुत्वाकर्षण के एकीकृत गुण पाए जातें हैं. यह फील्ड ही कुछ कणों को भार देता हैं कुछ को नहीं देता हैं. यही फील्ड पदार्थ ,ऊर्जा और चेतना को आपस में अंतर्परिवार्तित करता हैं.
यह रहयात्मक फील्ड विभाजन की सूक्ष्मतम इकाइयों से बना होता हैं,
जो God
-Particle या ब्रह्मोन कहलातें हैं.
मायावाद सिद्धांत के अनुसार यह संसार वास्तविक नहीं हैं केवल भासता
[आभास मात्र] हैं. अर्थात केवल चेतना हैं जो स्वनिर्धारित और
स्वनिर्देशित है और अपनी इच्छा अनुसार कभी पदार्थ और कभी ऊर्जा का
रूप ले लेती हैं.
ऐसा मानिये की समस्त संसार केवल उच्च और निम्न आवृति वाली
तरंगों से निर्मित हैं.यदि कम्पन की गति निम्न दिशा में होगी तो वह
पदार्थ रूप में दृष्टिगत होगा यदि कम्पन उच्च आवृति के होंगेंतो वह
अदृश्य ऊर्जा के रूप में होनें,और उच्चतम स्तर पर वह चेतना के रूप में
होंगें.
इसे आप साधारण भाषा में रामचरितमानस की पंक्तिओं से समझे……..
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥१॥
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सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा॥८॥
अर्थात ब्रह्म [चेतना] अपने को अपनी इच्छानुसार निराकार [ऊर्जा] से आकार [शिशु] रूप में व्यक्त कर सकता हैं.इसलिए चेतना अपने अन्दर असीमित मात्र में ऊर्जा और पदार्थ समाये रखती हैं.
मीरा का कृष्ण की मूर्ति में समा जाना मात्र यह इंगित करता हैं की mass [भार] चेतना में परिवर्तित हो गई.
जैसे सिक्के के दो पहलू होतें हैं और यदि चित्त को देखतें हैं तो पट भी दूसरी तरफ होता हैं लेकिन हम देख नहीं रहे तो भी वह अपना अस्तित्व नहीं खोता हैं ,उसी प्रकार चेतना के दो पहलू हैं पदार्थ और ऊर्जा और चेतना निर्धारित करती हैं की हम कौन सा पहलू देखें लेकिन इससे दूसरा आयाम ख़तम नहीं हो जाता हैं.
भौतिक जगत में पदार्थ और ऊर्जा E=MC2 के अनुसार एक दूसरे से सम्बंधित हैं उसी प्रकार चेतना ,ऊर्जा और पदार्थ भी एक समीकरण द्वारा आपस में सम्बन्ध रख कर अपना रूप परिवर्तित करतें होंगें.
Ec=
M Vt 2
Ec
= energy of consciousness
M=mass
Vt
= velocity of thought waves
इसमें
केवल संभावना व्यक्त की हैं की यदि कभी विचारों की वेलोसिटी को नापा जा सका तो हम चेतना के उच्च स्तर की ऊर्जा को नाप सकतें हैं | हमारे अनुसार भाव, विचार और प्रकाश भी अणुओं से बने हैं तभी वे यात्रा करतें हैं.
गॉड़ - पार्टिकल या ब्रह्मोन :
ब्रह्मोन बुनयादी कण हैं जिनसे पूरी सृष्टि बनी हैं. ये रचना या सृजन की आधारभूत इकाई हैं. ये कण सदैव संतुलन और पूर्णता की स्थति में रहतें हैं.
ब्रह्मोन कण अपने को व्यक्त[पदार्थ ] या परोक्ष[उर्जा] रूप में व्यक्त कर सकतें हैं.इन कणों की अनंत वाइब्रेशन , फ्रिक्वेन्सि और ऊर्जा होती हैं.
ब्रह्मोन कण अंतिम सूक्ष्मतम बिंदू और अंतिम एकीकृत पूर्ण हैं. ये कण पूर्ण,सम्पूर्ण, अमर्त्य ,अनंत ,असीमित, कालातीत , सर्वज्ञ और सर्वत्र हैं.
एक ब्रह्मोन,एक मूलभूत इकाई,एक नियम और एक दैविक चेतना जिसके तहद समस्त सृष्टि गति या कार्य करती हैं.
द्वारा
गीता झा