Tuesday, June 3, 2014

रहे न रहे हम महका करेंगे ..





रहे ना रहे हम महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा, बागा-ये-वफां में
मौसम कोइ हो इस चमन में रंग बन के रहेंगे हम खिराम
चाहत की खुशबू यूं ही जुल्फों से उडेगी,
खिज़ा  हो या बहारें
यूं ही 
झूमते  और खिलते रहेंगे, 

बन के कली, बन के सबा, बागा-ये-वफां में

खोये हम 
ऐसे , क्या हैं मिलना, क्या बिछड़ना  नहीं हैं याद हम को

कूंचे में दिल के जब से आये सिर्फ दिल की
ज़मीन हैं याद हम को
इसी सरजमीं पे हम तो रहेंगे, 

बन के कली, बन के सबा, बागा-ये-वफां में

जब हम ना होंगे, जब हमारी 
ख़ाक  पे तुम रुकोगे चलते चलते

अश्कों से भीगी चांदनी में एक सदा सी सुनो गे चलते चलते
वहीँ  पे 
कहीं  हम तुम से मिलेंगे, 

बन के कली, बन के सबा, बागा-ये-वफां में


रहे ना रहे हम महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा, बागा-ये-वफां में




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