Thursday, September 11, 2014

गॉड़ – पार्टिकल का फ़ॉर्मूला

पदार्थ [Matter]:

संसार परमाणुमय हैं .परमाणुओं के मिलाने से पदार्थ बनतें हैं और पदार्थों से मिलकर स्थान ,देश, और ब्रहमाण्ड बनतें हैं. परमाणु भी सूक्ष्म इकाई जैसे इलेक्ट्रन , प्रोट्रान , और न्यूट्रन से बने हैं. पदार्थ सत्ता,परिधि,काल और रूप के ढांचें में बंधें होते हैं.

Classical physics के अनुसार इलेक्ट्रोन एक पार्टिकल या कण स्वरुप हैं लेकिन Quantum -physics के अनुसार इलेक्ट्रोन तरंगमय स्वरुप हैं. इससे इलेक्ट्रन का dual nature या द्विस्वभाव रूप अर्थात कण व तरंग रूप उजागर हुआ हैं जिसे Heisenberg 's uncertanity perinciple कहा जाता हैं. पदार्थ रूप में इलेक्ट्रन कण रूप में होता हैं और उसकी एक निश्चित स्थिति [position ] और एक निश्चित भार [mass ] होता हैं, लेकिन तरंग रूप में इलेक्ट्रन ऊर्जा [energy] स्वरूप होता हैं, जिसकी एक निश्चित गति होती हैं लेकिन भार और स्थिति अनिश्चित होतें हैं.

आकाश [Space]:

आकाश पोला और खाली नहीं हैं.उर्जा का विशाल समुन्द्र आकाश में उसी प्रकार भरा हैं जिस प्रकार वायुमंडल. आकाश एक अदृश्य माध्यम हैं यह सर्वव्यापी हैं और सुपर फ्लुइड हैं. इससे सम्पूर्ण अन्तरिक्ष परिपूर्ण हैं. आकाश के कणों के कम्पन का नाम ही शक्ति या उर्जा हैं और यह तरंगों के माध्यम से केंद्र से चारों और फैलती हैं. आकाश में लहरें उठती हैं उन्हीं के कारण सब शक्तियों का प्रादुर्भाव होता हैं. आकाश के समस्त कण अपने स्थान पर कम्पमान होतें हैं.

उर्जा [Energy] :

आकाश में लहरें उठती हैं उन्हीं के कारण सब शक्तियों का प्रादुर्भाव होता हैं.
यह जगत दो हिस्सों में विभाजित हैं.एक प्रत्यक्ष दूसरा परोक्ष.दृश्य पदार्थों के अन्दर एक प्रेरक शक्ति काम करती हैं जिसे आँखों द्वारा देखा नहीं जा सकता हैं, केवल उसकी क्षमता और गति को देख कर ही अनुमान लगाया जा सकता हैं.प्रकृति के अन्दर ध्वनि , ताप, और प्रकाश तरंगें काम करती हैं जो परोक्ष रूप या ऊर्जा रूप में होती हैं.

   
                          Mass- Energy

Quantum -theory के अनुसार पदार्थ एक स्थिति में ठोस रहता हैं और दूसरे स्थिति में अपदार्थ या ऊर्जा बन जाता हैं. इस प्रकार पदार्थ ऊर्जा में और ऊर्जा पदार्थ में परिणत हो सकतें हैं. यह परिकथन आइन्सटाइन के सिद्धान्त्नुसार हैं की ऊर्जा का सम्मिलित स्वरुप ही पदार्थों के रूप में दिखाई देता हैं. इस प्रकार भौतिक जगत में पदार्थ और ऊर्जा आइन्सटाइन के प्रसिद्ध समीकरण E= MC2 के अनुसार एक दूसरे में परिवर्तित किये जा सकते हैं. इस समीकरण के अनुसार अगर मास [द्रव्यमान] नहीं हैं तो कण प्रकाश की गति से भागेंगें और एक ठोस आकार नहीं ले पायेंगें. यह कण जब गुरुत्वाकर्षण से गुजरता हैं तो भार [Weight] की शक्ल ले लेता हैं.

वैज्ञानिक परमाणु में भार, घनत्व, विस्फुतन और चुम्बकीय क्षेत्र आदि भौतिक परिचय देने वाले तत्वों को खोजते हुए ऐसे सूक्ष्म कणों के संपर्क में आये जिसमें परमाणु में पाए जाने वाले उपरोक्त एक भी लक्षण नहीं थे.ये कण शारीर के पोले भाग और समस्त आकाश में निर्बाध विचरण करते हैं. ये कण भौतिक परमाणुओं को भी वेधकर निकल जाते हैं.अभी तक कोई ऐसी यन्त्र ,प्रणाली या विज्ञान विकसित नहीं हो पाया हैं जो इन विद्युत कणों को कैद कर सके.
इन कणों की उपस्थिति का बोध उन्हीं के परस्पर टकराव की स्थिति में ही हो पाता हैं.

चेतना [Consiousness]:

चेतना वह अदृश्य सृजनात्मक शक्ति हैं जो समस्त विश्व की आधारशिला हैं.चेतना समस्त पदार्थ और ऊर्जा का श्रृजन करती हैं, उन्हें व्यवस्थित और क्रियाशील करती हैं.यह अंतिम रहस्यात्मक एकीकृत माध्यम या व्यवस्था हैं जिसमें ऊर्जा के अनंत आयाम विभिन्न ऊर्जा के स्तर और फ्रिक्वेन्सि के साथ गति या कम्पन करतें हैं.

पदार्थ- ऊर्जा -चेतना सातत्य [continuum ]

सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड पदार्थ , ऊर्जा और ,चेतना के समन्वय से निर्मित और क्रियाशील हैं.
आइन्सटाइन की unified theory के अनुसार ,ब्रह्माण्ड में कोई एक एकात्म - क्षेत्र [unified -field ] ऐसा हैं जिसमें विधुत शक्ति, चुम्बकीय बल और गुरुत्वाकर्षण बल भी होता होगा..यह क्षेत्र इन तीनों से युक्त और मुक्त भी होगा. यहीं वो तत्व हैं जो प्रकाश को धारण कर उसकी गति से किसी भी वास्तु को स्थानान्तरित कर सकता हैं. पदार्थ को शक्ति में बदल कर उसे कहीं भी सूक्ष्म अणुओं के रूप में बहाकर ले जा सकता हैं. यह फील्ड ऊर्जा के अत्यंत उच्चतम आयाम पर होता हैं .इसमें विद्युतीय ,चुम्बकीय और गुरुत्वाकर्षण के एकीकृत गुण पाए जातें हैं. यह फील्ड ही कुछ कणों को भार देता हैं कुछ को नहीं देता हैं. यही फील्ड पदार्थ ,ऊर्जा और चेतना को आपस में अंतर्परिवार्तित करता हैं.


  Mass- Energy- Consciousness continuum

यह रहस्यात्मक  फील्ड विभाजन की सूक्ष्मतम इकाइयों से बना होता हैं, जो God -Particle या ब्रह्मोन कहलातें हैं. 

भौतिक जगत में पदार्थ और ऊर्जा E=MC2 के अनुसार एक दूसरे से सम्बंधित हैं उसी प्रकार चेतना ,ऊर्जा और पदार्थ भी एक समीकरण द्वारा आपस में सम्बन्ध रख कर अपना रूप परिवर्तित करतें होंगें.

Ec = MVt2
Ec =चेतना की ऊर्जा, M =मास, Vt = वेलोसिटी ऑफ़ थॉट वेव्स [ Velocity of  Thought Waves ]

असान शब्दों में हम कह सकतें हैं की चेतना से ऊर्जा और ऊर्जा से पदार्थ बनतें हैं.

गॉड़ - पार्टिकल या ब्रह्मोन:

ब्रह्मोन बुनयादी कण हैं जिनसे पूरी सृष्टि बनी हैं. ये रचना या सृजन की आधारभूत इकाई हैं. ये कण सदैव संतुलन और पूर्णता की स्थति में रहतें हैं.

ब्रह्मोन कण अपने को व्यक्त[पदार्थ ] या परोक्ष[उर्जा] रूप में व्यक्त कर सकतें हैं.इन कणों की अनंत स्पंदन, फ्रिक्वेन्सि और ऊर्जा होती हैं.


         Brahmon Particle

ब्रह्मोन कण अंतिम सूक्ष्मतम बिंदू और अंतिम एकीकृत पूर्ण हैं. ये कण पूर्ण,सम्पूर्ण, अमर्त्य ,अनंत ,असीमित, कालातीत , सर्वज्ञ और सर्वत्र हैं.

एक ब्रह्मोन,एक मूलभूत इकाई,एक नियम और एक दैविक चेतना जिसके तहद समस्त सृष्टि गति या कार्य करती हैं.

नोट: हमारे अनुसार हिग्स बोसोन कण एक अत्यधिक उच्च ऊर्जा और फ्रिक्वेन्सि वाले कण हैं जो Neutrino ,Muon , Pion , Meson , Lambda ,Sigma , Xi, Delta और Omega कणों के सामान अत्यधिक उच्च कम्पन्न वाले हैं लेकिन ये सब God -Particle नहीं हैं क्योंकि God -Particle की ऊर्जा और फ्रिक्वेन्सि अनंत हैं अतः इनका परिक्षण और आंकलन करना अभी संभव नहीं हैं. इसलिए हमनें God -Particle का नाम ब्रह्मोन दिया क्योंकि अंतिम कण ---- अंतिम सत्य पर ही आधारित होनें चाहिए.

द्वारा
गीता झा


No comments:

Post a Comment