चिकित्सा व्यवसाय के कारक तत्व
लग्न भाव / स्वामी : स्वयं का प्रतिनिधित्व
षष्ट भाव /स्वामी : रोग का प्रतिनिधि कारक
दशम भाव/स्वामी : आजीविका कारक
द्वितीय एवं एकादश भाव / स्वामी : धन एवं आय के कारक
शनि :रोग कारक
सूर्य : चिकित्सा कारक
मंगल :सर्जरी
चन्द्रमा : दवाइयों का कारक
चिकित्सा व्यवसाय के लिए योग
- पंचम , षष्ठ ,नवम ,दशम और द्वादश भाव/ स्वामी का आपस में सम्बन्ध ।
- गुरु का लग्न/पंचम /दसम भाव/स्वामी से सम्बन्ध ।
- चन्द्रमा पाप पीड़ित होना ।
- चन्द्रमा ६/८/१२/ भाव होना में या उनके स्वामी के साथ होना ।
- छठा भाव रोग का है तथा बारहवें घर को अस्पताल का घर कहा जाता है , लिये छठे घर व बारहवें घर का सम्बध जितना प्रगाढ बनेगा, डाक्टर बनने की संभावना उतनी ही अधिक होगी
- छठे घर से एसे रोग देखे जाते है. जिनके ठीक होने की अवधि एक साल की होती है. तथा आठवे भाव से लम्बी अवधि के रोग देखे जाते है | दशम/ दशमेश का संबध दोनों में से जिस भाव से अधिक आयेगा व्यक्ति उस प्रकार की बीमारियों का चिकित्सक बनेगा |
- कुण्डली के पंचम भाव को शि़क्षा का भाव कहा जाता है. किसी भी तकनीकी शिक्षा का आजीविका के रुप में परिवर्तित होना तभी संभव है जब पंचम भाव व पंचमेश का सीधा संबध दशम भाव या दशमेश से बन जाये |
- अगर कुण्डली में लग्न में मंगल स्वराशि या उच्च राशि में हो तो व्यक्ति में सर्जरी से संबन्धित चिकित्सक बनने की योग्यता आती है| मंगल से साहस आता है. व रक्त को देख व्यक्ति में घबराहट नहीं आती है. दोनों का संबध डाक्टर से होता है |
- कुण्डली में लाभेश व रोगेश की युति लाभ घर में हो तथा मंगल,चन्द्र, सूर्य भी शुभ होकर अच्छी स्थिति में हों तो व्यक्ति चिकित्सा क्षेत्र से जुडता है.
- दशम/दशमेश का संबध समाज के भाव चौथे से अधिक आने पर व्यक्ति अपने पेशे का उपयोग सेवा कार्य के लिये करता है और आय के साथ उसे मान और सम्मान भी मिलता है ।
25 /1 /1965 { 17 :45 }
लग्नेश चन्द्र और षष्ठेश वृहस्पति में दृष्टि सम्बन्ध ।
षष्ठेश वृहस्पति दशम भाव में एवं षष्ठम भाव पर दृष्टि ।
आयेश शुक्र षष्ठम भाव में ।
जातक बच्चों का डॉक्टर है ।
18 /11/1955{00:30}
जातक अस्थिरोग विशेषज्ञ है ।
लग्नेश, षष्ठेश और दशमेश की युति एवं दशम भाव भाव पर दृष्टि ।
षष्ठेश शनि की षष्ठम भाव पर दृष्टि ।
8/1/1972 {9:13}
षष्ठेश बुद्ध चिकित्सा कारक सूर्य के साथ युत्ति ,दोनों ग्रह की षष्ठम भाव पर दृष्टि |
दसमेश का रोग कारक शनि के साथ राशि परिवर्तन |
दशमेश शुक्र ,सिंह नवांश में ।
4/2/1973 {20:50}
लग्नेश सूर्य षष्ठ भाव में ।
षष्ठेश और दशमेश में राशिपरिवर्तन सम्बन्ध ।
आयेश और धनेश बुद्ध षष्ठम भाव में ।
5/7/1974 {00:15 }
लग्नेश और दशमेश की पूर्ण दृष्टि षष्ठम भाव और षष्ठमेश पर ।
षष्ठेश की पूर्ण दृष्टि दशम भाव पर ।
आयेश और षष्ठेश की युत्ति ,और आयेश शनि की तीसरी दृष्टि षष्ठम भाव पर ।
4/5/1934 {16:47}
षष्ठेश शनि षष्ठम भाव में बलवान स्थिति में ।
षष्ठेश की दृष्टि लग्नेश पर ।
षष्ठेश की दृष्टि दसमेश पर ।
बुद्ध लग्नेश और दशमेश होकर बलि सूर्य के साथ युक्त ।
गीता झा
No comments:
Post a Comment