होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवां जानके खाया होगा
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाये होंगे
अश्क़ आँखोंने पिये और ना बहाये होंगे
बंद कमरे में जो खत मेरे जलाये होंगे
एक एक हर्फ़ जबीन पर उभर आया होगा
उसने घबराके नज़र लाख बचाई होगी
दिल की लूटती हुयी दुनियाँ नज़र आयी होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी
हर तरफ मुझको तडपता हुआ पाया होगा
छेड़ की बात पे अरमां मचल आये होंगे
ग़म दिखावे की हँसी में उबल आये होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आये होंगे
सर ना काँधे से सहेली के उठाया होगा
जुल्फ़ ज़िद करके किसी ने जो बनाई होगी
और भी ग़म की घटा मुखड़े पे छाई होगी
बिजली नजरों ने कई दिन ना गिराई होगी
रंग चेहरे पे कई रोज़ ना आया होगा
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