Thursday, March 26, 2015

होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा

होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा 
ज़हर चुपके से दवां जानके खाया होगा 
दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाये होंगे 
अश्क़ आँखोंने पिये और ना बहाये होंगे 
बंद कमरे में जो खत मेरे जलाये होंगे 
एक एक हर्फ़ जबीन पर उभर आया होगा 
उसने घबराके नज़र लाख बचाई होगी  
दिल की लूटती हुयी दुनियाँ नज़र आयी होगी 
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी 
हर तरफ मुझको तडपता हुआ पाया होगा 

छेड़ की बात पे अरमां मचल आये होंगे 
ग़म दिखावे की हँसी में उबल आये होंगे 
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आये होंगे
सर ना काँधे से सहेली के उठाया होगा 

जुल्फ़ ज़िद करके किसी ने जो बनाई होगी 
और भी ग़म की घटा मुखड़े पे छाई होगी 
बिजली नजरों ने कई दिन ना गिराई होगी 
रंग चेहरे पे कई रोज़ ना आया होगा 

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