Sunday, November 26, 2017

एक अनदेखा, अनजाना, अपरिचित ........ मुसाफ़िर




यद्यपि मुझे भी यह महसूस होता है की मैं तुझे बचपन से जानता हूँ | मैं तेरे साथ बचपन से खेलता और महोब्बत करता चला आया हूँ | मुझे लगता है की शायद मैं तेरे बचपन का साथी हूँ, तेरे लापरवाह और मौजी बचपन का चश्मदीद गवाह हूँ मैं |

 मैंने नदी के नीले पानी में तेरे  साथ तैरते हुए तेरी काले बालों की  चुटिया को पकड़कर यूँ घसीटा है की तू चिल्ला उठी | तेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर मैं कितनी बार जामुन के पेड़ के नीचे नाचा हूँ और जाने कितने अमरुद तोड़ कर खाएं हैं। जाने कितने गुलाब की पंखुड़ियों को तेरे ऊपर न्योछावर की है।

कई कई बार जब चन्द्रमा अशोक के पेड़ों के झुरमुट के पीछे से उदय हुआ , मैंने चांदिनी और अंधियारे की कांपती हुई शतरंज पर तेरी फिर -फिर, बार-बार   प्रतीक्षा की है।

तेरी पतली लचकती हुई कमर में हाथ डाल कर तेरे कसमसाते हुए शरीर को अपने सीने से लगाया है। मैं इन फूलों की पंखुड़ियों की तरह चंचल और कोमल होठों का रस जानता हूँ। तेरी साँस की मृदुलता और काजल से स्याह आँखों में चमकते हुए मोतियों की आभा से मैं परिचित हूँ।

लेकिन मैं इन उलझनों में पड़ना नहीं चाहता हूँ। मैं अपने दिल में उस लौ को सुरक्षित कर लेना चाहता हूँ जो शीशे की चारदीवारी के बाहर फूलों की तरह सुन्दर परवानों की तरफ तकती है जलती और जगमगाती रह जाती है।


हमेशा की तरह मैं तुझे एक बार फिर छोड़ जाऊंगा उस अनंत प्रतीक्षा के क्षणों में। मैं एक मुसाफिर हूँ ...मेरी पगडण्डी किसी कोने से नहीं मुड़ती यह चली जाती है सीधे नीले आकाश के पार .....अनंत में ...


जब जब तेरी असीम झील सी आँखों में औंस की बुँदे देखूंगा ...... तो मेरे बेपरवाह आवारा पैर  फिर ठिठक जायेंगें........ और मैं एक हल्का सा हवा का झोंका बन कर अपने सशक्त बाजुओं से तुझे एक बार  फिर विषाद रेखा से पार करा दूंगा।

तू निर्दोष है ........ लेकिन मैं अपनी आवारगी से मजबूर हूँ ...... तेरी रूह की रूहानियत और पाकीज़गी ........अमरबेल बन...... मेरे पैरों से लिपट कर.....एक बार फिर मुझे आगे जाने से रोकने की नादान कोशिश करेंगें ........क्यों तेरा मासूम  दिल यह समझ नहीं पाता है की तू एक इंसान है और मैं एक आवारा फ़रिश्ता .......

 

तेरे चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान देख कर  मैं भी हँसते हुए एक बार फिर   अपनी निगाह फेर लूँगा तुझसे .....मैं आवारा ....खडकी ......मस्तमौला  ...एक मुसाफिर….. फिर तेजी से निकल जाऊंगा अपने सफर की पगडण्डी पर छलांगें लगाता हुआ भागता हुआ .....अनंत यात्रा पर .......और तू  बैठ जाना उस असीम   इंतजार की निश्ब्धता मैं एक बार ....... और....... फिर से ........

एक अनदेखा, अनजाना, अपरिचित ........मुसाफ़िर 

Thursday, November 23, 2017

Badhaka Planets and Delayed Marriage in Astrology


In Sanskrit, badha (बाधा) means an obstruction,  impediment, handicap, hindrance, holdback etc. In a Birth chart, the obstacles in the life are also analyzed on the basis of houses. Some houses in the horoscope create obstacles and problems. The Lords of these houses are known as Badhak or Badhakesh.

A Baadhak planet creates a hindrance to the good results shown by a sign and the house in which the sign falls. the
Badhakesh in any house harms the prospects of that house and provides malefic results corresponding to the house it is located in. Planets located in badhak -sthana harm the prospects of the house they own.


Different Lords of houses act as Badhak for different Ascendants.11th house in a horoscope is badhak for movable ascendant signs, 9th house for fixed ascendant signs and 7th house for dual nature ascendant signs.

Rashi
Type
Baadhaka House
Baadhaka Rashi
Badhakesh
Aries (मेष)
Movable
11th
Aquarius (कुम्भ)
Saturn
Taurus (वृषभ)
Fixed
9th
Capricorn (मकर)
Saturn
Gemini (मिथुन)
Dual Natured
7th
Sagittarius (धनु)
Jupiter
Cancer (कर्क)
Movable
11th
Taurus (वृषभ)
Venus
Leo (सिंह)
Fixed
9th
Aries (मेष)
Mars
Virgo (कन्या)
Dual Natured
7th
Pisces (मीन)
Jupiter
Libra (तुला)
Movable
11th
Leo (सिंह)
Sun
Scorpio (वृश्चिक)
Fixed
9th
Cancer (कर्क)
Moon
Sagittarius (धनु)
Dual Natured
7th
Gemini (मिथुन)
Mercury
Capricorn (मकर)
Movable
11th
Scorpio (वृश्चिक)
Mars
Aquarius (कुम्भ)
Fixed
9th
Libra (तुला)
Venus
Pisces (मीन)
Dual Natured
7th
Virgo
Mercury

Correlation between Badhaka planets and delayed marriage :
 
The marriage of native is extremely delayed if  : 
  1. the badhak planet is sitting in the 7th house
  2. the badhak planet is aspecting 7th house 
  3. the badhak planet is the lord of 7th house  
  4. the badhak planet is   aspecting/conjoining the lord of 7th house.
  5. If the above combinations also held for the Moon Ascendant, then the marriage of the native will be extremely delayed. 

Example :  

  1. The native is 29-year-old very attractive and dynamic lady, who is still unmarried. 
  2. For the dual sign birth ascendant, 7th house is the badhak- sthan and Mercury as the lord of 7th house is the badhakesh  , indicates extremely delayed marriage. 
  3.  From the fixed sign  Moon ascendant the badhak- sthan is the 9 th house and Saturn as badhakesh is sitting in 7th house from Moon ascendant indicates delayed marriage. 


  1. The native is a male, who got married at the age of 42. 
  2. For Movable sign Capricorn ascendant, the 11th  house is the badhak sthan and Mars is the badhakesh , Now in natal chart Mars is conjoined with the lord of 7th house Moon , indicates delayed marriage . 
  3. For the fixed sign Moon ascendant, the badhak sthan is  9th house and the Moon is badkesh for Moon ascendant  , now Moon, as badhakesh is aspecting the 7th house from the Moon ascendant, indicates delayed marriage. 
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