एक संत, साधक ,ऋषि या एक सामान्य जन को जब देवी , देवताओं के दिव्य दर्शन होते हैं तो क्या वह उसके अपने अवचेतन [sub-conscious mind ] का बाहरी प्रकाश या प्रोजेक्शन है या आध्यत्मिक सत्ता का बाह्य जगतमें ऐसा कोई दृश्यगत स्त्तर है जो व्यक्ति के सीमाबद्ध मन में बलपूर्वक प्रविष्ट हो जाता है । यह एक पुराना और पेचीदा प्रश्न है अधिकत्तर लोग इसी उलझन में उलझे रहते हैं| । क्या राम ,कृष्ण, दुर्गा, गणेश, शिव ,देव, यक्ष , क्राइस्ट, पीर पैगम्बर आदि वास्तव में दर्शन देते हैं या हमारे अपने ही अंतर्मन के भाव बाहर प्रक्षेपित होकर विभिन्न देव सत्ताओं की रूपरेख रचते हैं ।
इस संदर्भ में श्रीरामकृष्ण परमहंस के अपने जीवनकाल में किये गए कई दिव्य दर्शन इस पेचीदे प्रश्न का समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं । श्री रामकृष्ण परमहंस को कई आध्यत्मिक भाव जनित दिव्य दर्शन हुए थे | जब वे भाव समाधि में होते थे तो कई दिव्य सत्ताएं अक्सर उन्हें दर्शन थी । दिव्य दर्शन के पश्चात कई बार वे दिव्य आकृतियां श्री रामकृष्ण परमहंस के शरीर में ही विलीन हो जाती थीं , और कई बार स्वतंत्र सत्ता के रूप में विचरने वाली दिव्य सत्ताओं ने उन्हें दर्शन दिए थे ।
मोटे तौर पर आध्यत्मिक जगत में होने वाले इन दिव्य दर्शनों को दो भागों में बाँटा जा सकता है स्वसंवेद्य और परसंवेद्य |
स्वसंवेद्य {स्वयं के कारण उत्पन्न होने वाले अनुभव } :
वंश परम्परा,धार्मिक मान्यताओं के कारण विभिन्न समाजों में भिन्न भिन्न देवी देवता माने और पूजे जाते हैं । पीढ़ी दर पीढ़ी उनकी कथा -गाथा घरों में चलती है । धीरे धीरे यही मान्यताएं आस्था श्रद्धा के रूप में मन की गहराई में या अवचेतन मन में अपनी जड़े जमा लेती हैं । प्रत्येक मनुष्य के मस्तिष्क के आसपास विचार तरंगों का एक ideosphere होता है । जब जब कोई काल्पनिक रूप श्रद्धा के आवरण में असाधरण रूप से किसी इंसान के मन पर हावी हो जाती है तो उस इंसान का ideosphere ऐसे वातावरण , परिस्थितियों और घटनाओं को जन्म देता है की वह देव सत्ता वास्तव में दर्शन देने , बात करने ,आशीर्वाद या वरदान देने ,मार्गदर्शन करने का उपक्रम करती दृष्टिगोचर होती है । जितनी आस्था सघन होगी और जितना उस दिव्य सत्ता पर श्रद्धा होगी उतनी ही उसकी अनुकृति और व्यवहार स्पष्ट और सहायक होगा |
इस दर्शन में विचार और भाव की प्रमुख भूमिका है । जिस दिव्य सत्ता के प्रति मनुष्य के विचार जितने सपष्ट और भावनाएं जितनी आस्थावान होंगीं उनके दर्शन उतने ही गहरी अनुभूति से भरे होंगें और उसे पूर्ण रूप से वास्तविक लगेंगें । यह अपने ही अवचेतन मन के प्रक्षिप्त विचार होते हैं । जिसकी जैसी आस्था होती है उसी के अनुसार दिव्य सत्ता विभिन्न देवी, देवताओं,पीरों ,एंजेल्स के रूप में दर्शन देते हैं । कभी कभी प्रगट , स्वप्न में या तंद्रावस्था में ये सत्ताएं वरदान ,आशीर्वाद ,शुभकामना या मार्गदर्शन देती नज़र आती हैं ।
कभी कभी अवचेतन मन के ये दिव्य संकल्प प्रतिमाएं मानस -पुत्र का भी कार्य करती हैं । जिन मनुष्यों का मानसिक स्त्तर दृढ होता है और साधना और श्रद्धा बलवती होती हैं उनके संकल्प प्रतिमाएं उतनी की स्पष्ट और सशक्त होती है । काल्पनिक या अंतर्मन से प्रक्षिप्त होने के बाबजूद भी उनमें उच्च स्त्तर की आलौकिक शक्ति होती है और यह वरदान, मार्गदर्शन , आशीर्वाद देने के अतिरिक्त साधकों की इच्छा पूर्ति भी करते हैं ।
जिन मनुष्यों की श्रद्धा और विचार दुर्बल या पिलपिले होते हैं या जिनका मानसिक बल कम होता है उनके अवचेतन मन द्वारा प्रक्षेपित देवी देवता भी अस्पष्ट रूपाकृति में दर्शन देने वाले और कम आलौकिक शक्ति संपन्न होते हैं ।
यह दर्शन अपने ही शरीरबद्ध मानसिक चिंतन के परिणामस्वरूप होता है । यह दर्शन अपनी निष्ठा, आस्था और अभ्यास के सहायता से होता है ।
परसंवेद्य { बाहरी कारणों से उत्पन्न होने वाले अनुभव } :
सर्गे-सर्गे पृथगरूप सन्ति सर्गान्तराण्यपि। तेष्वप्यंतःस्थसर्गोधाः कदलीदल पीठवत॥ -योग वशिष्ठ 4।15।16-1
आकाशे परमाष्वन्तर्द्र व्यादेररणुकेऽपिच। जीवाणुर्यत्र तत्रेंद जगदवेत्ति निजं वपुः॥ -योग वाशिष्ठ 3।44।34-35
अर्थात्- हे लीला! जिस प्रकार केले के तने के अन्दर एक के बाद एक परतें निकलती चली आती हैं। उसी प्रकार प्रत्येक सृष्टि के भीतर नाना प्रकार के सृष्टि क्रम विद्यमान हैं। इस प्रकार एक के अन्दर अनेक सृष्टियों का क्रम चलता है। संसार में व्याप्त चेतना के प्रत्येक परमाणु में जिस प्रकार स्वप्नलोक विद्यमान है उसी प्रकार जगत में अनन्त द्रव्य के अनन्त परमाणुओं के भीतर अनेक प्रकार के जीव और उनके जगत विद्यमान हैं।
यह जगत केवल स्थूल या जड़ ही नहीं है इसमें अनंत सूक्ष्म और सूक्ष्तर जगत एक दूसरे में समाये हुए सह अस्तित्व में स्थित हैं । भारीतय ऋषियों ने सात लोकों का वर्णन किया है । जो एक से अधिक सूक्ष्तर और शक्ति सम्पन्न हैं ......
भू, भुव, स्वः, तप, जन, महः, सत्यम् ये सात लोक हैं ।
भूः, भुवः एवं स्वः-------धरती,आकाश और पाताल का स्थूल लोक है । यह दृश्य जगत है ।
तपः ------------सूक्ष्म अदृश्य लोक है
जन, महः, सत्यम्-------- अदृश्य सूक्ष्तर देवलोक हैं
विशुद्धतः चेतनात्मक सत्ता देवी देवताओं या दिव्य सत्ताओं के रूप में उच्च लोक में अवस्थित रहते हैं । अंतरिक्ष में कई आलौकिक और दिव्य सत्ताएं विद्यमान हैं ,कभी कभी वे समय समय पर मानव को दर्शन देकर सत्कर्मों के लिए प्रेरणा देती हैं और उनकी सहायता करती हैं । ऐसे दिव्य दर्शन किसी विशेष विश्वास या साधना के ऊपर आश्रित नहीं होते हैं , यह वास्तविक दर्शन हैं।कई बार किसी संस्थान या सम्प्रदाय की स्थापना करने वाले महापुरुष अपनी मृत्यु के बाद भी सूक्ष्म लोक से आकर अन्य लोगों को जागृत /स्वप्न अवस्था में दर्शन दे कर अपने सम्प्रदाय में शमिल होने के लिए प्रेरित करते हैं । जैसे ब्रह्मकुमारी संस्थान के संस्थापक स्वर्गीय दादा लेखराज अनेक लोगों को जागृत/स्वप्न में दर्शन देकर कर ब्रह्मकुमारी संस्थान से जुड़ने के लिए प्रेरित कर चुके हैं । या यह भी हो सकता है की सूक्ष्म जगत की उच्च कोटि की आत्माएं दादा लेखराज का रूप धर कर दर्शन दे कर प्रेरणा देते हों । कई बार उच्च स्तर पर रहने वाली दिव्यात्में , भूलोक पर रहने वाले शुद्ध मनुष्यों को अपने अपने लोक में लाने के लिए उन्हें दर्शन देते हैं या सन्देश देते हैं ।
दिव्य दर्शन या साक्षात्कार कई प्रकार के होते हैं जैसे स्वप्न में ,जागृत अवस्था में या मृत्यु से पूर्व दर्शन होना । कई साधकों को स्वप्न में, जागृत में या ध्यान में सफ़ेद प्रकाश के दर्शन होते हैं । ऐसा तब होता है जब साधक का अवचेतन मन जागृत होता है , तब सूक्ष्म जगत की उच्च कोटि की आत्माएं सफ़ेद प्रकाश स्वरुप दर्शन या सन्देश देती हैं । कई बार कई सूक्ष्म जगत की आत्माएं स्वप्न में किसी देवी- देवता का रूप धर कर दर्शन दे कर कोई मंदिर , या धर्मिक संस्थान बनाने के लिए प्रेरित करती हैं ।मृत्यु के समय भी कई लोगों को सूक्ष्म जगत की आत्माओं के दर्शन होते हैं , इनमें अधिकतर अपने खुद के इस जन्म या पीछे जन्मों के स्वर्गीय सम्बन्धी होते हैं । मृत्यु के समय कई बार सूक्ष्म जगत की आत्माएं ज्ञान या आगे के जन्मों के लिए प्रेरणा देने के लिए दर्शन देते हैं या जीवात्मा को आपने अपने सूक्ष्म लोक में ले जाने के लिए दर्शन दे सकते हैं ।
दिव्य दर्शन या साक्षात्कार कई प्रकार के होते हैं जैसे स्वप्न में ,जागृत अवस्था में या मृत्यु से पूर्व दर्शन होना । कई साधकों को स्वप्न में, जागृत में या ध्यान में सफ़ेद प्रकाश के दर्शन होते हैं । ऐसा तब होता है जब साधक का अवचेतन मन जागृत होता है , तब सूक्ष्म जगत की उच्च कोटि की आत्माएं सफ़ेद प्रकाश स्वरुप दर्शन या सन्देश देती हैं । कई बार कई सूक्ष्म जगत की आत्माएं स्वप्न में किसी देवी- देवता का रूप धर कर दर्शन दे कर कोई मंदिर , या धर्मिक संस्थान बनाने के लिए प्रेरित करती हैं ।मृत्यु के समय भी कई लोगों को सूक्ष्म जगत की आत्माओं के दर्शन होते हैं , इनमें अधिकतर अपने खुद के इस जन्म या पीछे जन्मों के स्वर्गीय सम्बन्धी होते हैं । मृत्यु के समय कई बार सूक्ष्म जगत की आत्माएं ज्ञान या आगे के जन्मों के लिए प्रेरणा देने के लिए दर्शन देते हैं या जीवात्मा को आपने अपने सूक्ष्म लोक में ले जाने के लिए दर्शन दे सकते हैं ।
कभी कभी सूक्ष्म जगत की कुछ बलशाली सत्ताएं साधक को उसकी साधना से भ्रष्ट करने के लिए छदम रूप [shape shift ] धर कर इच्छित देवी देवता का दर्शन दे देते हैं । ऐसे दर्शन साधक को अहंकार से भर देते हैं और उसका आध्यत्मिक पतन होना शुरू हो जाता है ।
कभी कभी ऐतिहसिक -पौराणिक स्थलों में प्राचीन दिव्य पुरुषों की झलक दिखाई दे जाती है । जैसे वृन्दावन में श्रीकृष्ण ,चित्रकूट में श्रीराम , या शक्ति पीठ में देवी के दर्शन होते हैं । ऊँचे आदर्शों वाले संकल्पित अवतारी दिव्य आत्माओं का तेज काफी बड़ा चढ़ा होता है और उनके विद्युत कण हज़ारों वर्षों तक उस विशेष स्थान पर बने रहते हैं और समय समय पर अनुकूल मनोभूमि वालों को इनके मूर्त रूप के दर्शन होते रहते हैं ।
द्वारा
गीता झा
Hi Geeta,
ReplyDeleteCan you PLEASE help me? I really need your help? Is there was to communicate with you? Please respond. Please.
My husband and i got Married last year and we have been living happily for a while. We used to be free with everything and never kept any secret from each other until recently everything changed when he got a new Job in NewYork 2 months ago.He has been avoiding my calls and told me he is working,i got suspicious when i saw a comment of a woman on his Facebook Picture and the way he replied her. I asked my husband about it and he told me that she is co-worker in his organization,We had a big argument and he has not been picking my calls,this went on for long until one day i decided to notify my friend about this and that was how she introduced me to Mr James(Worldcyberhackers@gmail.com) a Private Investigator who helped her when she was having issues with her Husband. I never believed he could do it but until i gave him my husbands Mobile phone number. He proved to me by hacking into my husbands phone. where i found so many evidence and proof in his Text messages, Emails and pictures that my husband has an affairs with another woman.i have sent all the evidence to our lawyer.I just want to thank Mr James for helping me because i have all the evidence and proof to my lawyer,I Feel so sad about infidelity.
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