रानी ने पहले गिल्ली जमीन पर सेट की जैसे ही उसने डंडे से उसे मारने के लिए डंडा घुमाया तो साथ खेल रहे राजू ने उसका हाथ हिला दिया , गिल्ली हवा में तो उडी पर डंडे से ना टकराई और डंडा सायं की आवाज के साथ गिल्ली को मिस करता हुआ हवा में घूम गया ... राजू की इस नापाक हरकत पर रानी की आँखों से अंगारे बरसने लगे , उसने आव देखा ना ताव , एक जोर का डंडा राजू को रसीद कर दिया और वहां से उडन छु हो ली ....
डंडे की चोट से बिलबिलाया राजू , उसे कोसने लगा , की आज के बाद, वह उसके साथ कभी नहीं खेलेगा और उसकी मम्मी से जाकर शिकायत करेगा ...पर रानी इन सबसे बेपरवाह , एक तितली की तरह उडती हुई , कॉलोनी के दुसरे छोर तक पहुँच गई ...
उसने अभी अपनी सांसे स्थिर की थी की , पास वाले फ्लैट के नीचे खड़ी उसकी हम उम्र की लड़की खड़ी, रानी और राजू की लड़ाई दूर से देख रही थी , रानी को वहां देख , वह उसे टुकुर टुकुर ताकने लगी ...उसने रानी से पुछा , तुम्हारा उस लड़के से झगड़ा क्यों हुआ, क्या तुमने उसे मारा ? रानी ने हँसते हुए कहा , मुझसे चालाकी कर रहा था , मैंने भी एक लगा दिया , रानी ने उस लड़की को आज से पहले वंहा कभी ना देखा था , उसने जिज्ञासा में उससे पुछा, तुम लोग इस कॉलोनी में ,क्या नए आए हो ?
इसपर उस लड़की ने अपनी तोतली आवाज में बताया , की वह अपने मामा के साथ, इस फ्लैट में दो दिन पहले ही शिफ्ट हुई है , रानी को उस भोली लड़की की आँखों में एक मासूमियत सी लगी , जो उसे अपने साथ खेलने वाले बच्चो से जुदा करती थी , उसने लड़की से उसका नाम पुछा , लड़की ने बताया , उसका नाम पूजा है .....
रानी ने पूजा से कहा , क्या वह उसके साथ बैट बाल या कंचे खेलेगी , रानी की बात सुन पूजा हँसने लगी और बोली , अरे तुम तो लड़के वाले खेल खेलती हो , मैं तो यह सब खेल नहीं खेलती ... पूजा की बात सुन, रानी को जिज्ञासा हुई की , आखिर पूजा लडकियों वाले कौन से खेल खेलती है ?...
पूजा, रानी को अपने साथ अपने घर ले गई , जन्हा दोनों ने थोड़ी देर स्टापू और लंगड़ी टांग खेला , रानी को वोह खेल इतना अच्छा लगा की, अगले दिन, रानी ने अपनी सब सहेलियों को पूजा के घर के पास बने पार्क में बुला लिया , जन्हा उन सबने मिलकर लंगड़ी टांग , पिट्ठू और खो जि भरकर खेला ....
धीरे धीरे रानी और पूजा की दोस्ती दिन बा दिन गहरी होती गई , दोनों एक साथ पढ़ती ,स्कूल जाती , खेलती और कई बार तो , घर वाली की नज़र बचा कर चुपके एक दूसरे का हाथ पकडे अकेले दिल्ली की ट्राफिक भरी सडक पर पास वाले बाजार की सैर भी कर आती ...
कुछ दिनों से राजू , रानी का इंतजार कर रहा था , की कब वह आए और वह उसके साथ खेले , पर रानी तो घर पर मिलती ही ना थी , एक दिन , राजू उसे ढूंढता हुआ पास वाले पार्क में पहुंचा तो देखा , रानी और पूजा दोनों मिलकर झूले पर झूल रही थी , राजू दोनों के पास गया और बोला , मुझे भी अपने साथ खिलाओ ना ... उसकी यह बात सुन रानी ने उसका मजाक बनाया और बोली , उस दिन तो तू , मेरी मम्मी से शिकायत करने गया था , आज फिर यहां क्यों आया है? मुझे तेरे साथ अब नहीं खेलना , मुझे तो पूजा के साथ झुला झूलने में मजा आ रहा है और ऐसा कह पूजा और रानी, राजू पर हंस दी ....
उन दोनों को यूँ खेलता और हँसता देख राजू रुवांसा हो गया , उसके बाल मन में समझ ना आया की वोह , रानी को अपने साथ खेलने के लिए कैसे मनाये , उसने रानी से कहा , अगर वह उसे भी झूले पर खिलाये तो , वह उन दोनों को अपने घर से चॉक्लेट और मिठाई लाकर देगा , राजू की बात सुन पूजा का दिल मिठाई खाने के लिए मचल गया , उसने रानी से कहा , चल इसे भी खिला लेते है , अगर यह मिठाई और चॉक्लेट लाने के लिए तैयार है? ...
रानी ने बड़ी दरियादिली से कहा , पहले लेकर आ , फिर तुझे अपने साथ खिलायंगे , राजू दौड़ता हुआ अपने घर गया और , चुपके से कुछ चॉक्लेट और मिठाई अपनी जेब में भर कर पार्क में ले आया ...पूजा और रानी ने , उसे आता देखा, तो , दोनों के शैतानी दिमाग में एक कीड़ा कुलबुलाया , पूजा ने रानी के कान में कुछ कानाफूसी की , जिसका मतलब राजू के समझ ना आया , रानी और पूजा ने मिलकर पहले राजू की लाइ चीज़ें खाई और फिर उससे कहा अगर उसे भी झूले पर झुलना है , तो पहले उन दोनों को उसे झुलाना होगा ... मरता क्या ना करता , राजू , दोनों को झूले पर झुलाने के लिए तैयार हो गया ...
जब दोनों लड़कियां काफी देर झूलकर थक गई तो अपने अपने घर जाने लगी , राजू बोला , अरे मेरी बारी तो आई ही नहीं , पूजा और रानी ने एक दूसरे को देख कर कहा , चल झूले पर बैठ तुझे भी झुला दे ... राजू जैसे झूले पर बैठा , पूजा झूले के पीछे चुपके से गई और झूले को धक्का दे दिया , राजू अपना संतुलन बना ना पाया और धडाम की आवज के साथ जमींन पर गिरा और रोने लगा , उसे रोता देख पूज और रानी वहां से चुपके से भाग गई ....
भागते भागते दोनों , पार्क के पास लगे जामुन के पेड़ के नीचे आकर रुक गई , पके हुए जामुन देख पूजा का दिल उन्हें खाने के लिए मचलने लगा , उसने रानी से कहा , अगर वह उसकी सबसे अच्छी सहेली है तो उसे जामुन तोड़कर खिलाये , पूजा की बातों में आ , रानी पेड़ पर चढ़ गई और वहां से जामुन तोड़कर नीचे गिराने लगी , नीचे खड़ी पूजा ने ढेर सरे जामुन जब अपनी फ्रॉक में भर लिए तो , रानी से बोली अब तू नीचे आ जा ... रानी जोश में पेड़ पर चढ़ तो गई , पर जैसे ही नीचे देखा तो डर के मारे उसकी साँस अटक गई , वह जोर जोर से रोने लगी , उसे यूँ रोता देख पूजा डर गई और जामुन लेकर वहां से घर चली आई ....
पूजा तो चली गई , अकेली रानी पेड़ पर चढ़ी थी और उतारने वाला आस पास कोई ना था , ऐसे में उसका डर और बढ़ गया , उसने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया , उसकी आवाज सुन , पास में काम कर रहा माली आया और उसे पेड़ से नीचे उतरा , माली ने उसे कहा , अगर अगली बार वह पेड़ पर चढ़ी तो , फिर कभी नहीं उतारेगा , रानी ने उसकी बातों को एक अच्छे बच्चे की तरह मान लिया , पर जैसे ही पेड़ से नीचे उतरी, तो फुर्र से भाग निकली और बोली , मैं कल फिर से पेड़ पर चढ़ जाऊंगी ....
काश उस वक़्त रानी को , कोई समझा पाता , आज जिस दिलेरी, सहास और विश्वास का परिचय वह दे रही है , आने वाली जिन्दगी में यही विश्वास , उसके साथ विश्वासघात , यही दिलेरी उसके मन में कमजोरी और यही साहस , उसके पाँव की बेडी बन जाएगा ....
पूजा घर आ तो गई , पर उसके मन में एक चोर था , की उसने रानी को अकेला क्यों छोड़ दिया , इसी सोच में डूबे हुए , उसने अपने साथ लाये जामुन भी नहीं खाए ,अगले दिन वह सुबह सुबह रानी के घर, उसकी खोज खबर लेने पहुँच गई , वहां रानी उससे नाराज बैठी थी , पूजा को आया देख, उसने पूजा से बात नहीं की , पूजा ने उसे खूब मनाया और अपनी गलती के लिए कान पकडे और जब अपने साथ लाये जामुन रानी को दिए, तब जाकर रानी का दिल पसीजा , फिर से दोनों सहेलियां नयी शरारत करने में लग गई ....
वक़्त के साथ दोनों की शरारत बढती ही जाती थी , राजू भी अब इन दोनों शैतान की खालाओं से दूरी बनाकर रखता , पता नहीं कब वह उसका उल्लू बन कर , उसे बहला फुसला कर उससे खाने की चीजे घर से मंगवाती और मौका देख उन्हें हडप लेती और जब वोह खेलने जाता तो दोनों किसी न किसी बहाने उसे जमींन पर गिरा देती ... शायद ऊपर वालो को, राजू पर रहम आगया , एक दिन पाइप से कूदते हुए, पूजा ने अपना पैर तुडवा लिया ....
पूजा के पांव पर प्लास्टर क्या चढ़ा , रानी का खेलना कूदना और शरारतें करना सब कुछ दिनों के लिए उसके घर वालो ने बंद करा दिया , पर रानी का दिमाग था की एक जगह टिकता ना था , उसे व्यस्त करने के किये ,उसके पिता ने उसे लाइब्रेरी से खूब सारी कहानी की किताबें और नॉवेल लाकर दे दी, ताकी , रानी इधर उधर कूद फांद करने के बाजए अपना वक़्त अच्छी किताबों को पढने में लगाये ...
कुछ ही दिनो में रानी ने वह सारी किताबो पढ़ डाली , एक दिन बोर होते हुए ,रानी ने अपनी मम्मी से कहा वह पूजा के घर जाना चाहती है , ताकि उसका हाल चाल पूछ सके , रानी की मम्मी ने एक बिस्कुट का पैकेट लाकर उसे दिया और बोली , जब पूजा से मिलो तो उसे दे देना , उसे अच्छा लगेगा ...
बिस्कुट का पैकेट हाथ में लिए रानी, पूजा के घर जा रही थी और रास्ते में सोच रही थी की , उसके घर जाकर दोनों मजे से बिस्कुट खायंगे , कॉमिक्स पढेंगे और फिर गुडिया के साथ खेलेगी , फिर उसके मन में विचार आया ,कहीं पूजा ने जामुन की तरह सारे बिस्कुट खुद खा लिए तो , उसे कुछ ना मिलेगा , तभी उसका मन हुआ , क्यों ना अपने हिस्से का बिस्कुट अभी खा लिया जाए और ऐसा सोच उसने एक बिस्कुट अपने मुँह में डाल लिया , रानी जब तक पूजा के घर पहुंची तो आधा पैकेट उसके हाथो शहीद होकर उसके पेट में आराम फरमा रहा था....
रानी अपने साथ पूजा को दिखाने के लिए, अपने पापा की लाई कॉमिक्स और कहानियों की किताबे भी साथ ले गई , वहां रानी ने पहली बार पूजा के साथ बैठ कर ढेर सारी कॉमिक्स और कहानिया पढ़ी , जिन्हें अकेले पढने में उसे इतना मजा ना आया था ...बस उसके बाद तो दोनों जैसे एक किताबों की दीवानी हो गई ....जब भी उन्हें मौका मिलता दोनों अपनी अपनी कॉमिक्स , लोटपोट , नंदन , एक दुसरे से अदल बदल कर लेती ....
इन्सान भी अजीब किस्म का जानवर है ,जिसे जीवन में बहुत से काम अकेले करने में वह आनंद नहीं आता , जो किसी सच्चे साथी के साथ आता है ... जैसे घूमना फिरना , मूवी देखना , बाहर खाना आदि , अकेले करने में जैसे इन सबका आनंद कहीं खो सा जाता है ....
जैसे जैसे वक़्त बीतता गया और दोनों लड़कियां की दोस्ती वक़्त के साथ गहरी होती जा रही थी, जिसमे एक दूसरे के लिए कुछ भी कर गुज़रने का जज्बा रहता ....दोनों अब बचपन से युवावस्था में पहुँच चुकी थी , शायद रानी के अंदर रिश्तो और दोस्ती को निभाने की भूख पूजा से कंही ज्यादा थी , इसलिए कई बार वह ऐसे काम भी कर बैठती , जिन्हें करने के बाद उसे भी लगता , क्या उसे ऐसा करना चाहिए था? ...
जब दोनों लड़कियां जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी , तो दोनों के अन्दर एक दुसरे के प्रति अपनी सुन्दरता को लेकर एक कम्पटीशन सा होता , रानी अपने लम्बे बालों पर इतराती , वहीँ पूजा अपने हलके साफ रंग से, रानी को खिजाती , इसका परिणाम यह निकलता, अगले दिन रानी अपना गेहुयाँ रंग रगड़ रगड़ कर चमकाने बैठ जाती , वहीँ पूजा अपने बालों को लम्बा करने के लिए नए नए नुस्खे अपनाती , इस चक्कर में दोनों नए नए शैम्पू और क्रीम बाजार से खरीद कर लाती , जिसका असर कई बार उल्टा भी हो जाता , फिर दोनों देसी नुस्खो को अपने ऊपर लगा कर देखती की उनकी सुन्दरता में कोई फर्क आया की नहीं ? ....
बचपन की वह मासूम शरारतें , जैसी जवानी की आदतें बनती जा रही थी, रानी के ऐसे बिंदास अंदाज और खुले व्यवहार को देख जहां उसके माता पिता इतराते , उन्हें लगता की, उनकी बेटी किसी भी तरह की समस्या से नहीं डरती , वह तो आज के ज़माने की आयरन लेडी है ....
जो बच्चे बचपन में जितने शरारती होते है , अक्सर उनकी मौज मस्ती, सिर्फ बचपन तक ही सिमित रह जाती है , ना जाने क्यों, भविष्य उन्हें, उनकी बचपन की शरारतो के बदले, जवानी में खून के आंसू देता है...
रानी पढने में में जितनी होशियार थी , उतनी ही पूजा घर के काम में तेज थी , जहां रानी के लिए साइंस और मैथ बांये हाथ का खेल होता वहीँ पूजा को उनके नाम से बुखार आ जाता , पूजा इतिहास , भूगोल जैसे रटने के विषय तो अच्छे से कर लेती , पर दिमाग चलाने के समय , उसे जैसे बिछु काट लेता , ऐसे ही एक दिन, रानी पूजा के घर गई तो देखा पूजा गुमसुम सी उदास बैठी थी , उसने पूजा से पुछा क्या हुआ , तो पूजा ने रोते हुए कहा उसका मैथ का पेपर ख़राब हो गया है , अगर अम्मी को पता चला की मैं फ़ैल हो गई हूँ , तो वह बहुत गुस्सा करेगी , रानी ने पूजा से कहा इसमें परेशानी वाली क्या बात है , मैथ की टीचर मिस शर्मा तो उसे बहुत मानती है , वह चुपके से उसके कमरे में जाकर उसकी कॉपी में नंबर बदल देगी , पूजा को विश्वास ना हुआ , की रानी इतने जोखिम का काम भला क्यों और कैसे करेगी? .....
रानी का दिमाग , अपने साथ के बच्चो से कहीं तेज चलता था , वह मिस शर्मा के कमरे में उनसे कोई सवाल पूछने के बहाने गई और चुपके से मौका देख पूजा की कॉपी में 2 के आगे 1 लगा कर आ गई , अब पूजा के 20 में से 2 की जगह 12 नंबर हो गए ....
काश रानी ने उस वक़्त समझा होता , जिस टीचर का भरोसा आज वह , अपने दोस्त की खातिर तोड़ रही है , कल ऐसे ही उसका भरोसा भी, कोई अपने रिश्तेदार की खातिर तोड़ देगा .....
पूजा और रानी ने अपने बचपन और जवानी में में शरारतो की नयी नयी इबारते लिखी , रानी अक्सर लड़कों से बहस बाजी करने का मौका ना छोडती , अगर कोई लड़का गलती से रानी पर कोई कमेंट कर देता तो रानी उसे एक दो थप्पड़ भी लगा देती , इसके विपरीत पूजा , अपनी मोहक अदाओं से उन्हें दीवाना बना कर उल्लू बनाती ,फिर भी दोनों के दिल के अन्दर मानवता को लेकर एक जूनून था ... अगर उन्हें कहीं कोई पंछी का बच्चा घोसले से कहीं गिरा हुआ मिल जाता , वह उसे, उसके घौसले में जरुर रखती , अक्सर चिड़िया उन दिनों घर के पंखो से टकरा कर मर जाती थी , तो दोनो मरी हुई चिड़िया को घर के बाहर ले जाकर , उसकी समाधि बना कर उसे जमींन में दफना देती ....
रानी ने पूजा से अपनी दोस्ती बड़ी शिद्दत से निभाई , शायद उसके मन में रिश्तों को निभाने की भूख पूजा से ज्यादा थी , अक्सर पूजा अपनी जरूरतों में इस कदर खो जाती , की , कभी उसे ख्याल भी ना आता की , ऐसा करने से रानी जाने , अनजाने अपने ऊपर एक अनजाने अपराध का बोझ ढो रही है ....
दो दिनों से रानी को पूजा दिखाई नहीं दी , वह उसकी खोज खबर लेने घर पहुंची तो पता चला की उसकी आँखों में conjunctivitis हो गया , ऐसे में बाहर जा भी नहीं सकती थी ...रानी ने उससे कहा , तू घर में आराम कर , मैं अपने क्लिनिक से तेरे लिए दवाई लेकर आती हूँ और ऐसा कह , वह अपने पिता के सरकारी क्लिनिक पहुँच गई ...
क्लिनिक में डॉक्टर ने उसे देखा और आँखों का मुआयना करने लगा , रानी का दिल जोर जोर से धडक रहा था , वह बहाना बना कर आ तो गई थी पर उसे लग रहा था की कहीं डॉक्टर उसके झूठ को पकड ना ले , डॉक्टर ने टोर्च मारकर उसकी आँखे देखि और बोला अरे तुम तो अपना बंगाली लड़की है , रानी ने डरते हुए अपनी गर्दन हिला दी , डॉक्टर को लगा यह तो उसकी अपनी बिरादरी की लड़की है , बस उसने भी जोश में ज्यादा छानबीन करे बिना , रानी को दवाई दे दी, वहां से दवाई ले रानी इकदम से छू मंतर हो ली ....
रानी की ऐसी नादान हरकते जहां पूजा के प्रति उसके लिए दोस्ती का जज्बा बढ़ा देती , वहीं ऐसे बाते उसके घर वालो को एक गलत सन्देश देती , उन्हें लगता उनकी बेटी आम लडकियों जैसी कमजोर नहीं है यह तो किसी भी समस्या से लड़ सकती है और किसी भी तरह के लड़के को अच्छे से हैंडल कर सकती है ....इसलिए घरवालो को उसकी शादी और पढाई की ज्यादा फ़िक्र ना होती ...
काश उन्हें मालूम होता , उनकी बेटी के अंदर एक मासूम दिल है ,जिसके अन्दर, प्रेम की एक ना मिटने वाली भूख है , जिसे भरने के लिए वह , रिश्तो की खातिर , उन्हें बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है ....उस वक़्त रानी को यह पता ना था , जिस दिलेरी और हौंसले से वह यह छोटे मोटे कामो को अंजाम दे रही है , वही दिलेरी , आने वाले जीवन में उसका कड़ा इम्तिहान लेगी...
भारतीय संस्कृति और सभ्यता जैसे उन दोनों में कूट कूट कर भरी थी , जहां उस ज़माने में लड़कियां आए दिन बॉयफ्रेंड बनाती , दोनों इन सबसे दूर , अपना समय सिलाई , कढाई और पढाई में लगाती ....लड़के तो रानी के पास आने से घबराते की कब उसका दिमाग गर्म हो जाए और वह उन्हें एक थप्पड़ खींच कर लगा दे .....इसके विपरीत पूजा लडको के सामने इतनी सहमी सी रहती , की किसी भी लडको को उसमे कोई आकर्षण ना लगता ...
आज भी रानी और पूजा अपनी अटूट दोस्ती को किसी तरह कायम किये हुए है , इतनी गहरी दोस्ती होने के बाद भी पूजा और रानी, एक दूसरे के दिलों के जख्मों से अनजान है ...
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