भारत में विवाह को एक पवित्र धर्मिक एवं समाजिक संस्कार माना गया है । कुंडली में कुछ योगों की उपस्थित के चलते जातक या जातिका प्रेम विवाह करते हैं । इन योगों के चलते माता-पिता , कुटुंब , जाति ,धर्मभाषा ,देश, आर्थिक स्तर आदि की अक्सर अनदेखी भी की जाती है । लड़के और लड़की एक दूसरे के प्रति आकर्षित होकर प्रेम सम्बन्ध बना लेते हैं और फिर विवाह बंधन में भी बंध जाते हैं ।
प्रेम विवाह के कुछ योग
- लग्नेश एवं सप्तमेश का स्थान परिवर्तन या दोनों की युति सप्तम/लग्न में होना प्रेम विवाह का कारण बनता है ।
- पंचम भाव एवं सप्तम भाव की युति पंचम/सप्तम में होना या दोनों में राशि परिवर्तन होना प्रेम विवाह का कारण बनता है ।
- पंचमेश और सप्तमेश का दृष्टि सम्बन्ध भी प्रेम विवाह का योग बना देता है ।
- लड़कियों की कुंडली में गुरु का पाप प्रभाव में होना और लड़कों की कुंडली में शुक्र का पाप प्रभाव में होना प्रेम विवाह की सम्भावना को बढ़ा देता है ।
- राहू का लग्न में स्थित होना प्रेम विवाह का कारण बन सकता है यदि सप्तम भाव पर गुरु की दृष्टि न हो तो ।
- नवम भाव में धनु/मीन राशि हो तथा 7 वें भाव , नवम भाव एवं गुरु पर शनि/राहु की दृष्टि हो तो प्रेम विवाह होता है ।
- सप्तम भाव में राहु-मंगल की युति या मंगल एवं राहु के साथ सप्तम भाव का स्वामी वृष/तुला राशि में स्थित हो तो प्रेम विवाह का योग बनता है ।
- चन्द्र-लग्न, सूर्य-लग्न एवं जन्म-लग्न से दूसरे भाव एवं दूसरे भाव के स्वामी का सम्बन्ध मंगल से हो तो भी प्रेम विवाह के योग बन सकते हैं ।
- कुंडली का दूसरा भाव पाप प्रभाव में हो , शुक्र कुण्डली में राहु /शनि के साथ बैठा हो और सप्तमेश का सम्बन्ध शुक्र, चन्द्र एवं लग्न से हो ।
- शुक्र , चन्द्र लग्न से पंचम भाव में स्थित हो या जन्म लग्न से पंचम/नवम स्थित हो तो भी प्रेम विवाह हो सकता है ।
- चन्द्रमा और लग्नेश की युति लग्न में हो या चन्द्रमा सप्तमेश के साथ सप्तम में हो तो भी प्रेम विवाह होता है ।
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By
Geeta Jha
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