Sunday, January 28, 2018

आध्यत्मिक अनुभव -रहस्यमय सुगंध

अध्यात्म  के मार्ग पर चलने वाले अधिकतर साधकों को कभी कभी ऐसी सुगंध का अनुभव  होता है जो किसी भी बाहरी स्रोत से नहीं आ रही होती है । रमन एक आध्यात्मिक संस्थान से कई वर्षों से जुड़ा हुआ था । वह एक कंप्यूटर इंजीनियर था । अपनी क़ाबलियत का इस्तमाल रमन अपने आध्यात्मिक संस्थान  के विचारों और गतिविधयों को इंटरनेट के माध्यम से अनेक लोगों तक पहुंचा  कर करता  था । कुछ दिनों से रमन ने ध्यान दिया  की जब भी वह अपने संस्थान विषय के में कोई भी जानकारी  इंटरनेट पर डालता था तो  उसे चंदन की भीनी भीनी खुशबु  आती थी । पहले रमन ने सोचा था की घर में या पास पड़ोस में किसी ने  चन्दन की अगरबत्ती या धुप जलाया हुआ होगा । लेकिन खोज खबर के बाद उसे पता चला की कहीं ऐसा कुछ नहीं है और खास बात यह थी की वह खुशबु केवल उसे ही आ रही थी जबकि परिवार के ने सदस्यों को इसका कोई अनुभव नहीं हो रहा था । रमन ने इस आध्यत्मिक अनुभव को अपने गुरु की कृपा समझा  और इस संकेत को सकारत्मक रूप से लेते हुए उसने माना की वह अध्यात्म  के मार्ग पर सही दिशा में जा रहा है । 

रमन की तरह अध्यात्म मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए बिना किसी स्रोत के अाने वाले  रहस्यमय सुगंध का अनुभव होना आम बात है  । कभी कभी ऐसे व्यक्तियों को भी इस सुगंध का अनुभव होता है जो अध्यात्म के मार्ग पर नहीं हैं ऐसा मुख्यता दो कारणों से होता है प्रथम पूर्व जन्मों में उंसके द्वारा की गई साधनोें  के प्रतिफल से  जिसका उन्हें इस जन्म में भान नही होता है दूसरा कुछ दैवीय प्रयोजनों से जिससे वे आपने विकास के मार्ग की दिशा को प्राप्त  कर सके ।

                                    

साधना के दौरान अनुभव की गई रहस्यमयी  सुगंध गुलाब, चन्दन, भस्म ,केवड़ा ,मोगरे ,इत्र के समान होती है । ऐसे और कितने प्रकार की  सूक्ष्म सुगंध होती है जिन्हें किसी ज्ञात श्रेणियों में नहीं रखा जा सकता है ।
अधिकतर साधना करते समय , आध्यात्मिक विचार आते समय या गुरु का ध्यान करते  समय  ऐसे रहस्यमयी सुगंध का अनुभव होता है । कभी भीड़ में , बाजार  में, ऑफिस में ,घर पर या वाहन में भी ऐसी गंध का अनुभव हो सकता है ।

 पीयूष कुंडली योग का एक साधक है । अक्सर मन्त्र जप करते हुए उसे पवित्र  भस्म की सुगंध आती है  । उसे इस  सुगंध का अनुभव कुछ  क्षणों से लेकर कई मिनटों तक होता रहता है । 

अनुराधा  राधा रानी की परम भक्त है अक्सर उसे गुलाब और मोगरे की रहस्यमय सुगंध आती है और उन पलों में वह भावविभोर हो उठती है । 

रमेश एक  प्रतिष्ठित संस्थान में वैज्ञानिक है ।  उन्हें  परमात्मा  ,पूजापाठ ,आस्था, श्रद्धा के ऊपर कोई विश्वास नहीं था  । जीवन के  प्रत्येक तथ्य , घटना और जानकारी को वे  अपने तार्किक वैज्ञानिक बुद्धि से ही हल करने का प्रयास करते थे । कुछ दिनों से उन्हें  अचानक गुलाब के फूलों की सुगंध आ रही थी । उन्होंने  अपनी वैज्ञानिक बुद्धि से इस सुगंध के कारण और स्रोत को जानने  की पूरी कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता  नहीं मिली ।एक बार अपनी पत्नी के आग्रह करने पर वे  ऋषिकेश गए वहां उन्हें साधनारत एक ध्यानमग्न संत दिखाई दिए । उन्हें देखते है रमेश को पुनः एक बार फिर गुलाब के ताज़े फूलों  की  सुगंध का झोंका आया । रमेश उस संत के दीप्तिमान और शांत चेहरे के भाव भंगिमा को एकटक निहारने लगे उन्हें लगा की उस    संत से उनका  कोई पुराना  सम्बन्ध है । संत ने अपनी आँखें खोली और रमेश को स्नेह से गले लगते हुए कहा है वे बरसों से उसका इंतज़ार कर रहे थे । कालांतर में रमेश ने उन संत से दीक्षा और शक्तिपात लिया और अध्यात्म के मार्ग पर चलने लगे । उन्हें समझ आ गया था की अपनी सीमित  बुद्धि के प्रयोग से प्रकृति के असीम रहस्यों को नहीं समझा  जा सकता है ।

रहस्यमय सुगंध का अनुभव कैसे होता है   ? 
साधरणतया एक गुलाब के फूल से हम अपने स्थूल इन्द्रियों द्वारा सुगंध का अनुभव  करते हैं  । इसमें गुलाब का फूल स्थूल होता है जो  प्रत्यक्ष आँखों से दिखाई देता है  है जिसकी खुशबु का अनुभव हम अपनी  स्थूल  इन्द्रियों में से नाक  द्वारा करते  है  । लेकिन आध्यात्मिक अनुभव में   बिना किसी स्थूल गुलाब के फूल की उपस्थिति के हमें सुगंध का अनुभव  होता है । ऐसा सूक्ष्म अनुभव सूक्ष्म इन्द्रियों द्वारा अनुभूत किये जाते हैं  जिसे छठी इन्द्रिय या सिक्स्थ सेंस भी कहते हैं । पृथ्वी तत्व की तन्मात्रा( निहित विशेषता ) गंध है, जल तत्व की तन्मात्रा रस है  ,अग्नि की स्पर्श ,वायु की तेज  और आकाश की ध्वनि है ।  सुगंध पृथ्वी तत्व का अदृश्य सूक्ष्म तत्व है । अतः पृथ्वी तत्व की सूक्ष्म अनुभूति सुगंध के रूप में होती है जिसे  छठी इन्द्रिय द्वारा अनुभव किया जाता  है । वैसे ही  गुलाब  एक पृथ्वी तत्व है और उसकी सूक्ष्म अनुभूति गुलाब की सुगंध के रूप में होती है । 

नियमित साधना करने से  सिक्स्थ सेंस विकसित और परमार्जित होती  है । जैसे एक रेडियो वातावरण में उपस्थित हज़ारों फ्रीक्वेंसी में से अपने लिए निर्धारित फ्रीक्वेंसी को कैच कर लेता है ।उसकी  प्रकार से विकसित सिक्स्थ सेंस सूक्ष्म जगत में व्याप्त  अननत फ्रीक्वेंसी में से आपने निर्धारित फ्रीक्वेंसी को ग्रहण कर लेता है ।

किसे रहस्यमयी सुगंध का अनुभव होता है ?
  1. यह जरुरी नहीं की अध्यात्म के मार्ग पर चलने वाले प्रत्येक साधक को सूक्ष्म सुगंध का अनुभव होगा ही  । कई बार अत्यंत उन्नत साधक या अन्य साधकों को  इसका अनुभव  नहीं होता है । इसका कारण  है की अपने निजी आध्यत्मिक मार्ग में उन्हें इस प्रकार के अनुभवों की जरुरत नहीं होती है या पिछले जन्मों में वे इन अनुभवों से गुजर चुके हों  ।
  2. कभी कभी किसी संत,महात्मा,गुरु देवी देवता  के स्मरण मात्र से सुगंध आने लग जाती है या कभी कभी मन्त्र जाप या ध्यान करते समय सूक्ष्म सुगंध आती है । 
  3. यह जरूरी नही है की सभी प्रकार की विविध सुगंध एक ही  साधक के अनुभव में आये या सूक्ष्म  सुगंध का अनुभव उन्हें हमेशा बने रहे ।
  4. स्त्रियों को पुरुषों की अपेक्षा सूक्ष्म सुगंध का अधिक अनुभव होता है क्योंकि स्त्रियों की सिक्स्थ सेंस पुरुषों से अधिक विकसित होती है ।
  5. रहस्यमयी सुगंध अध्यात्म में एक सकरात्मक अनुभव माना जाता है, जिसे एक कृपा के रूप में मानना चाहिए । यह अनुभव बताता  है की आप सही दिशा में जा रहे  हैं । रहस्यमयी सुगंध की तरह एक रहस्यमयी दुर्गन्ध भी होती है जो एक नकारात्मक  अनुभव होता है जो जगत में विद्यमान  अदृश्य नकारात्मक  शक्तियों द्वारा  पैदा की जाती है । 
द्वारा 
गीता झा 

1 comment:

  1. plz guide us on sun saturn conjuction in libra

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