Thursday, January 25, 2018

कलौंजी - A cure for all diseases except death

कलौंजी रनुनकुलेसी कुल का झाड़ीय पौधा है,जिसके बीज औषधि ,सौन्दर्य प्रसाधन, खुशबू एवं मसाले के रूप में प्रयुक्त होते हैं।जिसका वानस्पतिक नाम “निजेला सेटाइवा है जो लैटिन शब्द नीजर (यानी काला) से बना है ।

 कलौंजी का पौधा सौंफ के पौधे से थोड़ा छोटा होता है। इसके फूल हल्के नीले व पीले रंग के होते हैं और इसके आकार तारे के समान होते हैं। अनियन सीड कहने  के कारण अधिकतर लोग इसे प्याज का बीज ही समझते हैं क्योंकि इसके बीज प्याज के बीज जैसे  ही दिखते हैं। लेकिन प्याज और कलौंजी  बिल्कुल अलग अलग पौधे हैं।

विश्व में ब्लैक सीड्स ,रोमन कोरिएंडर, ब्लैक सीसेम, ब्लैक क्यूमिन, ब्लैक कैरावे तथा अनियन सीड के नाम  से जाने  वाले कलौंजी को हिन्दी ,गुजरती  और मराठी में  कलौंजी या मंगरैला , संस्कृत में  कलवंचिका, कालाजाजी या कृष्णजीरा ,बंगाली में मुगरेला,तेलुगु में नल्ला जीरा और तमिल में करून जीरागम कहते हैं ।
कलौंजी का स्वाद हल्का कड़वा व तीखा और गंध तेज होती है। भारत में कलौंजी का प्रयोग विभिन्न व्यंजनों नान, ब्रेड, केक और आचारों में किया जाता है।




कलौंजी का रसायनिक विश्लेषण

Nutritional Composition
Black Cumin Seed
Saturated & Unsaturated Fatty Acids
Black Seed Oil
protein
21%
Saturated Acid
18.1%
carbohydrates
35%
Monounsaturated Acids
23.8%
fats
35-38%
Polyunsaturated Acids
58.1%

Nutritional Value
Black Seed Oil
Fatty Acids
Black Seed Oil.
Protein
208 ug/g
Myristic Acid (C14:0)
0.5%
Thiamin
15ug/g
Palmitic Acid (C16:0)
13.7%
Riboflavin
1 ug/g
Palmitoleic Acid (C16:1)
0.1%
Pyridoxine
5ug/g
Stearic Acid (C18:0)
2.6%
Niacin
57 ug/g
Oleic Acid (C18:1)
23.7%
Folacin
610 IU/g
Linoleic Acid (C18:2)(Omega-6)
57.9%
Calcium
1.859 mg/g
Linolenic Acid (18:3n-3) (Omega-3)
0.2%
Iron
105 ug/g
Arachidic Acid (C20:0)
1.3%
Copper
18 ug/g


Zinc
60 ug/g


Phosphorus
5.265 mg/g



Essential Oil Composition (1.4%)
Black Seed Oil
Carvone
21.1%
Alfa-Pinene
7.4%
Sabinene
5.5%
Beta-Pinene
7.7%
P-cymene
46.8%
Others
11.5%


कलौंजी में  100 से अधिक महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। कलौंजी  में एक लाल व भूरे रंग का स्थिर तेल 31 प्रतिशत होता है। इसमें पीला भूरा उड़नशील तेल 0.5 से 1.6 प्रतिशत होता है जिनमें मुख्य निजेलोन, थाइमोक्विनोन, साइमीन, कार्बोनी, लिमोनीन आदि प्रमुख हैं। उड़नशील तेल में कार्बन 45 से 60 प्रतिशत की मात्रा में होता है। निजेलोन में एन्टी-हिस्टेमीन गुण होता हैं, यह श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करती है और खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि को ठीक करती है।थाइमोक्विनोन बढ़िया एंटी-आक्सीडेंट है, कैंसर रोधी, कीटाणु रोधी, फंगस रोधी है, यकृत का रक्षक है और असंतुलित प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरूस्त करता है। 

तकनीकी भाषा में कहें तो इसका असर इम्यूनोमोड्यूलेट्री है। कलौंजी में केरोटीन, विटामिन ए, बी-1, बी-2, नायसिन व सी और केल्शियम, पोटेशियम, लोहा, मेग्नीशियम, सेलेनियम व जिंक आदि खनिज होते हैं। कलौंजी में 15 अमीनो अम्ल होते हैं जिनमें 8 आवश्यक अमाइनो एसिड हैं। ये प्रोटीन के घटक होते हैँ और प्रोटीन का निर्माण करते हैं। ये कोशिकाओं का निर्माण व मरम्मत करते हैं। शरीर में कुल 20 अमाइनो एसिड होते हैं जिनमें से आवश्यक 9 शरीर में नहीं बन सकते अतः हमें इनको भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है। अमीनो  एसिड्स मांस पेशियों, मस्तिष्क और केंन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के लिए ऊर्जा का स्रोत हैं, एंटीबॉडीज का निर्माण कर रक्षा प्रणाली को पुख्ता करते है और कार्बनिक अम्लों व शर्करा के मेटाबोलिज्म  में सहायक होते हैं।

कलौंजी के औषधीय  गुण
  Analgesic ---दर्दनाशक
 Anti-Bacterial---प्रति जीवाण्विक
   Anti-Inflammatory ---सूजन-जलन कम करने के लिए
   Anti-Ulcer ---अल्सर खत्म करने के लिए
  Anti-Cholinergic---कोलीन धर्म रोधी जो acetylcholineके कार्य को बाधित करता है
  Anti-Fungal---कवक रोधी
  Anti --Hypertensive----अतिसंवेदनशीलता  कम करने के लिए
  Antioxidant ----ऑक्सीकरण रोधी रोगों से लड़ने के लिए
 Antispasmodic----मांसपेशियों की जकड़न दूर करने के लिए
  Antiviral ----विषाणुरोधी
 Bronchodilator ---श्वासनलिकासारकयंत्र जो श्वास नली को फैलता है
  Gluconeogenesis Inhibitor ----डायबिटीज को रोकता है
 Hepatoprotective  -----लिवर की सुरक्षा करता है
Hypotensive ----अत्यधिक निम्न  रक्त चाप को सामान्य बनता है
 Insulin Sensitizing----इन्सुलिन को सुग्राही बनाना
 Interferon Inducer-----बाहरी हमलों या इन्फेक्शन  से लड़ने के लिए इंटरफेरॉन को प्रेरित करना
 Leukotriene Antagonist----अस्थमा को दूर करना
Renoprotective -----किडनी की सुरक्षा के लिए
Tumor Necrosis Factor Alpha Inhibitor -----ट्यूमर  कोशिकाओं को  खत्म  करने के लिए

कलौंजी का कितना और कैसे प्रयोग करें
1.  कलौंजी 1 से 3 ग्राम की मात्रा में उपयोग किया जाता है। कलौंजी के तेल का प्रयोग 2.5-5 ग्राम करें तक़रीबन आधा टी  स्पून  |
2.      कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है।
3.      एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करके इसका सेवन करें।
4.      पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पीएं।
5.      दूध में कलौंजी उबालें। ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पीएं।
6.      कलौंजी को ग्राइंड करें तथा पानी तथा दूध के साथ इसका सेवन करें।
7.  कलौंजी को ब्रैड, पनीर तथा पेस्ट्रियों पर छिड़क कर इसका सेवन करें।
8. जीरा ,कलौंजी ,मेथी ,सरसों और सौंफ से बनने वाले  पंच -फ़ौरन  में भी  इसका प्रयोग किया जा सकता है  । 
9. एक गिलास गुनगुने पानी में आधा चम्मच  [2. 5 ग्राम ] कलौंजी का तेल एक चम्मच   शहद   सुबह खाली पेट लेने  से सभी रोगों में  फायदा करता है ।
10.आधा चम्मच अज़वाइन  में चुटकी भर कलौंजी डाल  कर सुबह शाम खाली पेट चबा चबा कर खाने  से और इसके आधे घंटे बाद एक गिलास पानी पीने से   समस्त रोगों में लाभ मिलता है  ।

   

कलौंजी के विभिन्न प्रयोग

क्रम संख्या
रोग का नाम
उपचार
1
कैंसर और अन्य ट्यूमर

  1.  कैंसर के उपचार में कलौंजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक गिलास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें। लहसुन भी खुब खाएं। इस रोग में रोगी को औषधि देने के साथ ही एक किलो जौ के आटे में 2 किलो गेहूं का आटा मिलाकर इसकी रोटी, दलिया बनाकर रोगी को देना चाहिए। आलू, अरबी और बैंगन से परहेज़ करें।
  2.  कलौंजी के तेल को गांठो पर लगाने और एक चम्मच कलौंजी का तेल गर्म दूध में डालकर पीने से गांठ नष्ट होती है।
2
खाँसी  दमा   छींके

  1.  छाती और पीठ पर कलौंजी के तेल की मालिश करें, तीन बड़ी चम्मच तेल रोज पीयें और पानी में तेल डाल कर उसकी भाप लें।
  2.  यदि बार-बार छींके आती हो तो कलौंजी के बीजों को पीसकर सूंघें।
  3.  जैतून के तेल में कलौंजी का बारीक चूर्ण मिलाकर कपड़े में छानकर बूंद-बूंद करके नाक में डालने से बार-बार जुकाम में छींक आनी बंद हो जाती हैं और जुकाम ठीक होता है।
  4.  कलौंजी को सूंघने से जुकाम में आराम मिलता है।
  5. 20 ग्राम कलौंजी को अच्छी तरह से पकाकर किसी कपड़े में बांधकर नाक से सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और जुकाम ठीक होता है।
3
अवसाद और सुस्ती

  1.  एक गिलास संतरे के रस में एक बड़ी चम्मच तेल डाल कर 10 दिन तक सेवन करें। आप को बहुत फर्क महसूस होगा।
  2.  पिसी हुई कलौंजी आधा चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है।
  3.  रात में सोने से पहले आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।
4
स्मरणशक्ति और मानसिक चेतना

  1.  एक छोटी चम्मच तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें।
  2. लगभग 2 ग्राम की मात्रा में कलौंजी को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
5
मधुमेह

  1. एक कप कलौंजी के बीज, एक कप राई, आधा कप अनार के छिलके और आधा कप पितपाप्र को पीस कर चूर्ण बना लें। आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल के साथ रोज नाश्ते के पहले एक महीने तक लें।
  2. प्रतिदिन 2 ग्राम कलौंजी के सेवन के परिणामस्वरूप तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। इंसुलिन रैजिस्टैंस घटती है,बीटा सैल की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है तथा ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है।
  3. एक कप काली चाय में आधा चाय का चम्मच
  4.  कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह नाश्ते से पहले पी लेना चाहिए। फिर रात को भोजन के पश्चात सोने से पहले एक कप काली चाय में आधा  चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर पी लेना चाहिए। चिकनाई वाले पदार्थों के उपयोग से बचें। 
6
गुर्दे की पथरी और मूत्राशय की पथरी

  1.  पाव भर कलौंजी को महीन पीस कर पाव भर शहद में अच्छी तरह मिला कर रख दें। इस मिश्रण की दो बड़ी चम्मच को एक कप गर्म पानी में एक छोटी चम्मच तेल के साथ अच्छी तरह मिला कर रोज नाश्ते के पहले पियें।
  2. 250 ग्राम कलौंजी पीसकर 125 ग्राम शहद में मिला लें और फिर इसमें आधा कप पानी और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार खाली पेट सेवन करें। इस तरह 21 दिन तक पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
7
उल्टी और उबकाई

  1. एक छोटी चम्मच कार्नेशन और एक बड़ी चम्मच तेल को उबले पुदीने के साथ दिन में तीन बार लें।
  2. आधा चम्मच कलौंजी का तेल और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से उल्टी बंद होती है।
  3. उल्टीयाँ कम करने के लिए, 1/2 टी-स्पून ताज़े अदरक के रस में बराबर मात्रा में कलौंजी डालकर, दिन में 2 बार पीने से आराम मिलता है।
8
हृदय रोग, रक्त चाप और हृदय की धमनियों का अवरोध

  1. जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच तेल मिला कर लें, रोज सुबह लहसुन की दो कलियां नाश्ते के पहले लें और तीन दिन में एक बार पूरे शरीर पर तेल की मालिश करके आधा घंटा धूप का सेवन करें। यह उपचार एक महीने तक लें।
  2. रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप सामान्य बना रहता है।
  3. तथा 30 मिलीलीटर जैतुन का तेल और एक चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर पूर शरीर पर मालिश आधे घंटे तक धूप में रहने से रक्तचाप में लाभ मिलता है। यह क्रिया हर तीसरे दिन एक महीने तक करना चाहिए।
9
सफेद दाग , कुष्ठ रोग और त्वचा के अन्य रोग

  1. 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें।
  2. कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा के विकार नष्ट होते हैं।
  3. सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।
  4. 50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीस लें और इसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप बना लें। यह लेप खाज-खुजली में प्रतिदिन लगाने से रोग ठीक होता है।
  5. चेहरे को सुन्दर आकर्षक बनाने के लिए कलौंजी के तेल में थोड़ा सा जैतून का तेल मिलाकर चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर बाद चेहरा धो लें। इससे चेहरे के दाग़-धब्बे दूर होते हैं।
  6. कलौंजी को पीस कर सिरके में मिलकर पेस्ट बनाए और मस्सों पर लगा लीजिये.मस्से कट जायेंगे.
  7. मुंहासे दूर करने के लिए कलौंजी और सिरके का पेस्ट रात में मुंह पर लगा कर सो जाएँ |
  8. मुंहासों  की समस्या को दूर करने के लिए नींबू के रस और कलौंजी के तेल को मिक्स करें। सुबह-शाम मुंहासों  पर इसे लगाएं। यह कील-मुहांसे दूर करने के साथ ही चेहरे के दाग-धब्बे मिटाता है। इसके इस्तेमाल से चेहरा ग्लो करने लगता है।
10
कमर दर्द और गठिया

  1.  हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें। 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा।
  2. एक चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।
11
सिर दर्द

  1. माथे और सिर के दोनों तरफ कनपटी के आस-पास कलौंजी का तेल लगायें और नाश्ते के पहले एक चम्मच तेल तीन बार लें कुछ सप्ताह बाद सर दर्द पूर्णतः खत्म हो जायेगा।
  2. कलौंजी के तेल को ललाट से कानों तक अच्छी तरह मलनें और आधा चम्मच कलौंजी के तेल को 1 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है।
  3. कलौंजी खाने के साथ सिर पर कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर मालिश करें। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है और सिर से सम्बंधित अन्य रोग  भी दूर होते हैं।
  4.  कलौंजी के बीजों को गर्म करके पीस लें और कपड़े में बांधकर सूंघें। इससे सिर का दर्द दूर होता है। कलौंजी और काला जीरा बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीस लें और माथे पर लेप करें। इससे सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर होता है।
12
अम्लता ,आमाशय शोथ और पेट के  रोग

  1.  एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल एक प्याला दूध में मिलाकर रोज पांच दिन तक सेवन करने से आमाशय की सब तकलीफें दूर हो जाती है।
  2. 10 ग्राम कलौंजी को पीसकर 3 चम्मच शहद के साथ रात सोते समय कुछ दिन तक नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
  3. किसी भी कारण से पेट दर्द हो एक गिलास नींबू पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीएं।
  4. चुटकी भर नमक और आधे चम्मच कलौंजी के तेल को आधा गिलास हल्का गर्म पानी मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है।
  5. कलौंजी, जीरा और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से पेट का गैस नष्ट होता है।
  6. पेट के कीड़ों से छुटकारा पाने के लिए  1 टी-स्पून एप्पल साइडर विनेगर  को 1/2 टी-स्पून कलौंजी के साथ मिलाकर, दिन में 2 बार, खाने से पहले 10 दिनों तक लें, और इस दौरान मीठे का सेवन ना करें।
  7. अपच या पेट दर्द में आप कलौंजी का काढा बनाइये फिर उसमे काला नमक मिलाकर सुबह शाम पीजिये
13
बाल झड़ना

  1. बालों में नीबू का रस अच्छी तरह लगाये, 15 मिनट बाद बालों को शैंपू कर लें अच्छी तरह धोकर सुखा लें, सूखे बालों में कलौंजी का तेल लगायें एक सप्ताह के उपचार के बाद बालों का झड़ना बन्द हो जायेगा।
  2. 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें और इस पानी से बालों को धोएं। इससे बाल लम्बे घने होते हैं।
  3. जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर होकर बाल उग आते हैं।
  4. बाल बहुत गिर रहे है तो कलौंजी पीस कर पतला लेप बनाकर पूरे सर में लगा लीजिये,बाल गिरने बंद और लम्बे होने शुरु हो जायेंगें |
14
आँख -कान -दांत  के रोग

  1. आंखों की लाली, मोतियाबिन्द, आंखों से पानी का आना, आंखों की रोशनी कम होना आदि। इस तरह के आंखों के रोगों में एक कप गाजर का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2बार सेवन करें। इससे आंखों के सभी रोग ठीक होते हैं।
  2. आंखों के चारों और तथा पलकों पर कलौंजी का तेल रात को सोते समय लगाएं और एक बड़ी चम्मच तेल को एक प्याला गाजर के रस के साथ एक महीने तक लें।। इससे आंखों के रोग समाप्त होते हैं।
  3.  यदि आंखों में मोतियाबिंद हो या आंखे कमजोर हो गई हों तो कलौंजी के तेल की दो चम्मच गाजर के जूस में मिलाकर सुबह शाम दो बार सेवन करें।
  4.  कलौंजी का तेल और लौंग का तेल 1-1 बूंद मिलाकर दांत मसूढ़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है। आग में सेंधानमक जलाकर बारीक पीस लें और इसमें 2-4 बूंदे कलौंजी का तेल डालकर दांत साफ करें। इससे साफ स्वस्थ रहते हैं।
  5.  दांतों में कीड़े लगना खोखलापन: रात को सोते समय कलौंजी के तेल में रुई को भिगोकर खोखले दांतों में रखने से कीड़े नष्ट होते हैं।
  6. कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।
15
दस्त या पेचिश

  1. एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक चम्मच दही के साथ दिन में तीन बार लें दस्त ठीक हो जायेगा।
  2. 250 मिलीलीटर दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से यूरिन  की जलन दूर होती है।
16
रूसी

  1. 10 ग्राम कलौंजी का तेल, 30 ग्राम जैतून का तेल और 30 ग्राम पिसी मेहंदी को मिला कर गर्म करें। ठंडा होने पर बालों में लगाएं और एक घंटे बाद बालों को धो कर शैंपू कर लें।
  2. नियमित सिर  पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से रुसी से निज़ात  मिलती है
17
स्नायुविक मानसिक रोग 

  1. एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल डालकर रात को सोते समय पीने से स्नायुविक मानसिक तनाव दूर होता है।
  2. कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।
  3. दही में कलौंजी को पीसकर बने लेप को पीड़ित अंग पर लगाने से स्नायु की पीड़ा समाप्त होती है।
  4. कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।
  5. आधे कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद आधे चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लें। इससे पोलियों का रोग ठीक होता है।
  6. एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से मिर्गी के दौरें ठीक होते हैं। मिर्गी के रोगी को ठंडी चीजे जैसे- अमरूद, केला, सीताफल आदि नहीं देना चाहिए।
18
स्त्री रोग

  1. स्त्रियों के रोगों जैसे श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर, प्रसवोपरांत दुर्बलता रक्त स्त्राव आदि के लिए कलौंजी गुणकारी है। थोड़े से पुदीने की पत्तियों को दो गिलास पानी में डाल कर उबालें, आधा चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर दिन में दो बार पियें।
  2. यदि मासिकस्राव बंद हो गया हो और पेट में दर्द रहता हो तो एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
  3. एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबाल लें और इस पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय सेवन करें। इससे 21 दिनों में खून की कमी दूर होती है। रोगी को खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  4. स्त्रियों के चेहरे हाथ-पैरों की सूजन: कलौंजी पीसकर लेप करने से हाथ पैरों की सूजन दूर होती है।
  5. कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से मासिकस्राव शुरू होता है। गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।
19
पुरूष रोग
पुरूष रोग , पुरुषहीनता आदि रोगों में एक प्याला सेब के रस में आधी छोटी चम्मच तेल मिला कर दिन में दो बार 21 दिन तक पियें।

कलौंजी को घर में संग्रह करने के तरीके

1.  कलौंजी को हवा बद डब्बे में रखकर नमी से दूर रखना चाहिए।
2.  बेहतर है कि आप इसे कम से कम मात्रा में खरीदें जिससे इसका स्वाद और खुशबु बना रहे।

कलौंजी के साइड इफेक्ट्स और सावधानियां

1  कलौंजी के सेवन की कम मात्रा नुकसानदायक नहीं है । लेकिन किसी किसी को कलौंजी या उसके तेल का अधिक मात्रा में सेवन एलर्जी उत्पन्न कर सकता है । कभी कभी कलौंजी के तेल के प्रयोग से स्किन पर चतके पड़ सकते हैं ।
2.  कलौंजी ब्लड शुगर को कम करता है इसकी अधिक मात्रा ब्लड शुगर को तेज़ी से कम कर सकती है । गर्भवती या दूध पिलाने वाली महिलाओं को कलौंजी का अधिक मात्रा में प्रयोग नही करना चाहिए ।
3.  अधिक मात्रा में कलौंजी सेवन करने से दर्द, भ्रम, उत्तेजना आदि पैदा हो सकता है। त्वचा, किडनी, आंत, आमाशय और गर्भाशय पर कलौंजी का उत्तेजक प्रभाव पड़ता है।
4.  दिन भर में कलौंजी की अल्प मात्रा [आधा चम्मच] ही सेवन में प्रयोग करें नहीं तो इसकी अधिकता शरीर में पित्त के स्तर को काफी बढ़ा सकती है ।

5.कलौंजी को कभी किसी फार्मास्यूटिकल दवाई के साथ मिला कर नही खाएं ।
6...25 ग्राम या इससे अधिक  कलौंजी का सेवन शरीर में टोक्सिन /विषाक्त इफ़ेक्ट करता है  । 

अतः कलौंजी और उसके तेल का कम मात्रा में प्रयोग ही लाभदायक है ।


अनंत गुणों के भण्डार कलौंजी के विषय में यह सही कहा जाता है की यह मौत को छोड़ कर हर मर्ज़ की दवा है ।







द्वारा
गीता झा

2 comments:

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