Wednesday, August 31, 2016

ज्योतिष में मधुमेय रोग


जब रक्त में ग्लूकोज (शर्करा) की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक होती है, तो उसे मधुमेह रोग कहते हैं। मधुमेह रोग में शरीर में इन्सुलिन आवश्यकता से कम बनने लगता है, एवं इन्सुलिन रिसेप्टर शिथिल पड़ने लगते हैं। फलस्वरूप ग्लूकोज समुचित रूप से जल कर ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पाता, इस कारण ग्लूकोज रक्त में बढ़ जाता है।

मधुमेय के ज्योतिषी कारक : 
लग्न ---व्यक्तित्व 
2 भाव ---खान पान की आदतें 
5वां  भाव ---पैंक्रियास
6 ठा  भाव ---रोग 
8वां  भाव --- दीर्घ कालीन रोग
गुरु --- लिवर,किडनी और पैंक्रियास का कारक 
शुक्र --- पैंक्रियास के कुछ हिस्सों का कारक, हार्मोनल संतुलन , यूरिन 
मंगल --- रक्त का कारक 
ज्योतिषीय संयोग 

  1. शुक्र ग्रह का नीच राशि में होना, दोषयुक्त होना, पाप प्रभाव में होना , 6/8/12  भाव में स्थित होना , मधुमेय  रोग  की सम्भावना को बढ़ाता है | 
  2. गुरु का नीच राशि में होना, वक्री होना, 6/8/12  भाव में होना मधुमेय रोग उत्पन्न करता है | 
  3. गुरु और शुक्र की युति किसी भी भाव में हो और वो लग्न/ 5/6/8/12  भावों से सम्बन्ध रखे तो मधुमेय होने की प्रबल  सम्भावना रहती है |
  4. मंगल और शुक्र राहु  द्वारा पीड़ित हों  | 
  5. मंगल  , शुक्र और  राहु एक दूसरे से सम्बंधित हों तो मधुमेय होने की संभावना रहती है | 
BY
Geeta Jha 


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